आज जितना जरूरी है ज़माने में
इंसानियत बचाना...,
ठीक उतना ही जरूरी है,
इंसान में बचपना बचाना..।-
ये ख्वाब है मेरा,
जो तुम्हे हक़ीक़त दिखता हो शायद..।।
लिखने कुछ और सोच कर बैठते हैं,
फिर लिखते लिखते,
लिखे हुए का, अर्थ बदल जाता है,
फिर जो असल में लिखा जाना था
ऐसा बहुत थोड़ा लिखा गया होता है-
क्या तुमने करीब से किसी को जाते देखा है...,
जाना ऐसा की वो तुमसे बिना मिले चला गया हो,
फिर उसके दोबारा आने तक तुम्हे वो नही, उसका जाने से पहले तुमसे ना मिलना याद आता रहेगा..।-
Chemistry है भी और नही भी
इश्क़ भी मेरा, DATIVE BOND सा ठहरा
बिल्कुल इक तरफा... ❤-
हमें भी तो कोई इक नज़र देखे
हम भी तो किसी की नज़रों का पहला प्यार बने..।
हम पे भी तो ख्वामखां आये किसी का दिल
हम भी तो किसी की यादों का इक ख्याल बने..।।
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दुनिया थोड़ी-थोड़ी,
समाप्ति की और जा रही होती है,
जब दो लोगों के बीच आपसी समझ
कम होती जाती है..।-
सबकी ज़िंदगी में एक (*) लगा हुआ है,
सबकी अपनी-अपनी,
'terms and conditions' हैं, और जिस दिन कोई हमसे कहे की तु ही तो है जो मुझे बेहतर जानता है, उस दिन वो अपने (*) के सापेक्ष बोल रहा होता है..।-
एक अजीब सी कपकपाहट और बेचैनी,
जब दिल को रास्ता ही ना सूझ रहा हो
की क्या किया जाये,
सबसे ख़ुशियों भरे पल में, सबसे ज्यादा हलचल दिल में ही तो होती है..,
सिर्फ प्रेम ही तो है
जो दिल को एहसास कराता है
उसकी मौजूदगी का..।-
कभी कितना काम करने पर भी थकान नही
और कभी बिना कुछ किये ही आलस्य,
कभी समय पर भी नींद नही,
और कभी बिना वजह झपकी
कभी व्यस्त होने पर भी समय,
कभी समय होने पर भी व्यस्तता..,
क्योंकि कभी-कभी हम,
ज़िंदगी जी रहे होते हैं,
और कभी
दुनिया की भीड़ में खो रहे होते हैं..।-