Vyakhya Parashar  
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Joined 17 July 2017


Joined 17 July 2017
25 SEP 2022 AT 20:07

कोशिश रोकने की थी,
और तू हमेशा के लिए छीन गया।

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30 AUG 2022 AT 19:54

अपने जज्बातों के समंदर में तेरी प्यार की कश्ती को हमने सहारा दिया,
जरा सा तूफान क्या आया, तूने तो अपना किनारा तह कर लिया।

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28 AUG 2022 AT 20:54

ज़िंदगी के धागों की उलझनों में कुछ इस तरह फस गई हूं,
डर लगता है कि इन्हे सुलझाने पर कोई गाठ ना पड़ जाए।

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20 AUG 2022 AT 0:08

बचपन की वो बड़े होने की ख्वाइश,
काश सिर्फ ख्वाइश ही बनकर रह जाती तो शायद जिंदगी आसान हो जाती।

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14 MAR 2022 AT 23:29

उस दीए की लॉ सा इश्क़ था हमारा,
आखिर तक जलता रहा पर उनकी जिंदगी में उजाला कर गया।

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4 MAR 2022 AT 23:41

आसमां और जमीं की तरह ही है कुछ रिश्ते,
दूर से तो साथ नजर आते है पर पास जाकर अहसास होता है की यह हमारी कल्पना ही थी।

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1 MAR 2022 AT 0:15

मुरादे की थी तुझे मांगने की,
परंतु दुआ किसी और की कबूल हो गई।

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20 FEB 2022 AT 15:02

सो जाता हैं तू हर बार एक उम्मीद देकर,
और मुझे इस इंतजार में नींद नहीं आती।

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18 FEB 2022 AT 22:47

खुली हुई अलमारी में से झांकते हुए खिलोने अक्सर ये आवाज दिया करते है,
तेरे चेहरे की वो सच्ची हसीं, इस ढिखावट से लाख अच्छी हुआ करती थी।

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18 FEB 2022 AT 0:49

नाजाने क्यू इस सफर में अक्सर ये आम रहता है,
तू आखों के सामने है मगर तुझे मिलने का ख्वाब,
ख़्वाब रहता है।

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