vrinda dhoundiyal  
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Joined 7 October 2018


Joined 7 October 2018
4 DEC 2023 AT 15:30

हौसला अभी बाकी है,
धुँधली है अगर मंजिल तो क्या?
उड़ान अभी बाकी है|

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3 MAR 2021 AT 22:12

किस रास्ते जाना था
चल पड़े बस मुसाफिर बनकर
समय की नज़ाकत समझो
या खुदा का नजराना
जो मिला, बहुत खूब मिला
सुकून मिला, हमसफर मिला

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3 MAR 2021 AT 22:05

सुबह से शाम,
यूहीं दिन निकल जाता है।
दिन छोटे हो या बड़े,
बस यूंही समय निकल जाता है।
आज कब कल बन गया,
जिंदगी का सफर यूहीं निकल जाता है।

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26 SEP 2020 AT 19:18

don't be an emotional fool



take a chance once

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18 SEP 2020 AT 22:31

बारिश का मौसम था,
उस पर वो तेज बिजली।
हम पर गिरी हो मानो,
फूलों की बौछार बनकर।।

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5 SEP 2020 AT 23:32

How beautiful were the days,
with you, young and praise.
weekends trips with lockdown rage,
coming home tired and derange.
i really miss that sunshine,
when i think we will be together for lifetime.
all this seperation is hurting me,
you is what all I need.
hope we will again be one,
when this trauma phase be undone.

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12 AUG 2020 AT 11:10

स्त्री का भी योगदान अलग ही होता है,
बासी रोटी खुद, परिवार को ताजी का प्रावधान होता है।

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10 AUG 2020 AT 23:58


"Self realisation is the mother of transition"

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28 JUL 2020 AT 1:00

झूठ ने ली तालीम कहां से?
कि बिन सिखाए सब सीख गया।
कतार में सबसे पीछे था सच,
सब सीखे भी सहम गया।
बलवान था झूठ, सो जीत गया
सच का गला फिर से घूंट गया।
समय आया सच के साथ,
झूठ को सिखाने असली पाठ।




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22 JUL 2020 AT 0:15

तेरा तो तेरा, मेरा तुझसे भी सारा।

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