28 JUL 2019 AT 12:00

अस्पताल में अंतिम क्षण बिताती, ज़िन्दगी ने ये सिखाया है,
छूट ही जाना है सबकुछ एकदिन,जो भी कमाया है,

धीरे धीरे सरकती मौत ने ये समजाया है,
जाना है सबको एकदिन,जो जहाँसे आया है,

जुररियो ने अब मेरे चेहरे पर हक जताया है,
उड़ जाएंगे सारे पंछी,खालीपन ने ये बताया है,

लोगो की भीड़ में जीने वालो को,अकेलेपन ने सताया है,
प्रगति और विकास के बाद,अधूरापन भी उसका साया है,

आगे बढ़ते समय मुड़के देखा ही नही,
लौटते वखत ये सब समझ आया है,

- વોરા આનંદબાબુ"અશાંત"