तुम्हारा शौक तुम्हें ही नज़्र कर रही हूँ...
हाँ! इस शेर में, मैं तुम्हारा ज़िक्र कर रही हूँ...— % &-
वंदना सक्सेना बेपरवाह
(वंदना सक्सेना 'बेपरवाह'©)
641 Followers · 291 Following
ये रुत.... ये हवा..... ये अंदाज-ए-मौसम नया है.....
जी लो आज इस पल को.... बीते हुए कल में रख... read more
जी लो आज इस पल को.... बीते हुए कल में रख... read more
Joined 19 May 2019
9 FEB 2022 AT 23:23
26 JAN 2022 AT 21:39
शायद तुम्हारे पास सुनने का भी वक़्त ना हो...
ये सोचकर मैंने कुछ कहा नहीं तुमसे...-
10 DEC 2021 AT 21:31
टूट कर पूरी तरह जब मैं बिखर जाती हूँ...
खुद अपनी ही बाहों में सिमट जाती हूँ...-
7 NOV 2021 AT 23:15
अब ना कोई शिकवा... ना शिकायत करेंगें...
एक तरफा ही तुमसे मोहब्बत करेंगें...-
5 NOV 2021 AT 21:44
दफन कर दीं हमने सारी ख्वाहिशें अपनी...!
कहाँ तक हर रोज तुम्हारी मिन्नतें करते...!!-
20 OCT 2021 AT 22:52
तुमसे बात करना...
सपने के सच होने जैसा होता है...
पर हर सपना कहाँ सच होता है...!-
20 OCT 2021 AT 22:48
मुट्ठी में बंद हैं जो...
ख्वाब तेरे हैं...
दिन-रात सोच रही हूँ...
ख्याल तेरे हैं...-
7 SEP 2021 AT 19:32
तेरा इतने करीब आ के लौट जाना...
जैसे बरसात बिन बादल का आ के लौट जाना...-
31 JUL 2021 AT 14:01
जीने का मज़ा भी तभी आता है...
जब लोग आपके मरने का इंतजार कर रहे हों...-