वन्दना दीक्षित   (वन्दना दीक्षित)
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Joined 28 April 2020


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Joined 28 April 2020

वक्त के साथ सब बदल गया,
बदल गये कुछ तुम भी..
वक्त ने आंखें खोली तो,
जाग उठी मैं भी..

वक्त ने तोड़ा भ्रम मेरा
कुछ नहीं था प्यार तेरा

दोष नहीं मैं देती तुझको,
खता सारी वक्त की..
वक्त ने साथ छोड़ा तो,
बदल गयी कुछ मैं भी..

बदल गया सब वक्त के साथ,
बदल गये हम तुम भी..

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ना दुआ लगे, ना दवा लगे
जब बैरी इश्क़ की हवा लगे

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जब भी आता है तेरी यादों का झोंका,
दिल सम्भाले ही नहीं सम्भलता..
तुझे भूलना भी ज़रूरी है बहुत, और
याद किए बिना काम नहीं चलता..

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दुनिया का पक्के से पक्का रंग,
छुड़ाया जा सकता है..
बस है......एक प्रेम रंग,
जो छुड़ाए नहीं छुटता..

क्योंकि ये आत्मा को रंगता है,
आत्मा पर रचता है.....
बाद इसके कुछ लागे ना अच्छा,
कुछ और नहीं जचता है....

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ठहरे ठहरे ज़ज़्बात
आधी अधूरी सी बात
मिलना तो सपना है
नामुमकिन है मुलाक़ात

अजब घटना घटी
ज़िंदगी हिस्से में बटी
मेरे हिस्से आयी फिर
अछूती यादों की सौगात
मिलना तो सपना है
नामुमकिन है मुलाक़ात

बेख़्याली भरे दिन
बेखुदी हरपल हर छिन
करवटों में बदल गई
काटे कटती नहीं रात
मिलना तो सपना है
नामुमकिन है मुलाक़ात

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दिल टूटा है ज़रूर,
मगर जिंदा हूॅं कि देख लो अभी भी जान बाकी है
ओ वार करने वाले,
निकाल ले तेरे जितने भी खंज़र, तीर कमान बाकी है

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ये प्यार प्रेम में सुख चैन का तो पता नहीं,
सिर दर्द तो बहुत है, बहुत क्या मतलब बहुत है..
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चलो माना भूल मेरी है, भूल स्वीकार है
फूल के काबिल नहीं हूं, शूल स्वीकार है
तेरी नज़र में राह की धूल हूं तो धूल सही
मुझे तेरे चरणों की बनना, धूल स्वीकार है

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दुनिया के बगीचे में अनगिनत काफ़िले है..
कौन जाने यहां, कौन किससे मिले है..
यहां हर तरफ है सुकून का शोर,
झूठी खुशियों की सजी धजी महफ़िलें है..

ये ज़िन्दगी एक खूबसूरत सपना है..
सपनों में ख़्वाहिशों के मेले है..
यूं तो हाथों में हाथ है हर किसी के,
फिर क्यूं लोग भीड़ में भी अकेले है..

यहां हर रंग अपनी चमक रखता है..
अंधेरें ही जाने क्यूं इतने काले है..
इक उम्मीद जो हटती नहीं जगह से,
कि, इन अंधेरों का अंत 'उजाले' है..

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नीला-पीला, गुलाबी-लाल फागुन
उड़ा रहा है रंग और गुलाल फागुन
अंग अंग रंग के यूं हर रंग से, अब
मन रंगने की चल रहा चाल फागुन

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