वन्दना दीक्षित   (वन्दना दीक्षित)
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Joined 28 April 2020


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Joined 28 April 2020

प्रेम हो जाना अलग बात, प्रेम पाना कुछ और
सपने देखना और है, सत्य हो जाना कुछ और
चेहरा देख मन पढ़ना, है किस जमाने की बात
ये जमाना तो वो नहीं, था वो जमाना कुछ और

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उठा, चला, गुजर गया दिल से एहसास का कारवां
राह राह ठोकर, चले डगमगाता विश्वास का कारवां

बरबस बिखर रहा, है मन बावरा धीर ये धरता नहीं
फिर भी टूटे मन में सदा चले, एक आस का कारवां

सुनहरे सपनों ने घेरा यूं मृग मरीचिका के जंगलों में
जैसे रेगिस्तान में भटका, खो गया प्यास का कारवां

प्रतीक्षा की तपिश में झुलस गये जीवन के रंग 'वन्दू'
और, बीता है पतझड़ की भांति मधुमास का कारवां

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बड़ा ज़ालिम है, ये इश्क़ सूफियाना तेरा
घायल कर देता है, नैनों से बतियाना तेरा

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कोई स्वप्न आंखों को बहुत दिन बाद मिला
जैसे हो रात अमावस की और चांद खिला

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आज़ाद


है कौन?

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सच्ची झूठी जैसी भी, बात तो हो
बात के लिए बात की, शुरुआत तो हो

उतार लाएंगे चांद को छज्जे पर
संग में तारें भी टिमटिमायेंगे, रात तो हो

भीग जाए मन फिर भीगा ही रहे
मन को भिगो देने वाली, बरसात तो हो

उम्रभर का तो बंधन मांगा ही नहीं
उम्र काटने को भी एक, मुलाकात तो हो

एक दूजे के दिल में बसे याद बनके
मिठी सी सुगंध भरी कोई, सौगात तो हो

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हम्म....😴

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जिसके ख्यालों में डूबी रही वो बावली, उसे ख़्याल तक नहीं
इक भोला सा दिल टूटा गया, और किसी को मलाल तक नहीं

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वक्त पर जोर चला नहीं,
जिधर वक्त ले चला, उधर चल दिए
कभी रो के, कभी मुस्कुरा के,
काट लिए, जैसे भी वक्त ने पल दिए

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वक्त के साथ सब बदल गया,
बदल गये कुछ तुम भी..
वक्त ने आंखें खोली तो,
जाग उठी मैं भी..

वक्त ने तोड़ा भ्रम मेरा
कुछ नहीं था प्यार तेरा

दोष नहीं मैं देती तुझको,
खता सारी वक्त की..
वक्त ने साथ छोड़ा तो,
बदल गयी कुछ मैं भी..

बदल गया सब वक्त के साथ,
बदल गये हम तुम भी..

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