तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं कैसे मिलता कोई था ही नहीं तू जहां तक दिखाई देता है उसके आगे मैं देखता ही नहीं मुझपे होकर गुजर गई दुनिया मैं तेरी राहों से हटा ही नही पढ़ता रहता हूं रात दिन उसको उसने जो ख़त कभी लिखा ही नहीं तेरे बारे में सोचने वाला अपने बारे में सोचता ही नहीं......
तुमसे वक्त नहीं बस इस सफर में साथ चाहिए तुम पर हक नही बस हाथो में हाथ चाहिए तू चले साथ में मेरे ये जरूरी नहीं बस दिल को सुकून रहे तू साथ है ये इहसास चाहिए.......
सुना है वक्त सिखा देता है सबको भूल जाना मगर वक्त का कसूर था तुम्हारा चलें जाना अब मेरी हर कोशिश तकदीर से समझौता है दिल टूटने से वर्ना इश्क कहां कम होता है.......