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उसे वियोग में भी आनंद आता है
तभी तो खुद को वियोगी आनंद बतलाता है
एक दिन ख़राब चला जाए तो परेशान हो जाते हैं लोग यहाँ
हमनें तो अगले जनम भी इश्क़ करने की सोची है-
के पीने वालों को तो आज भी
सिर्फ़ सरासर साफ पानी चाहिये
वरना सियासतदानों का क्या है
इन्हें तो बस गंग-जमुनी रवानी चाहिये-