तेरे साथ होकर भी अधूरा ही रहा
तेरे अपनो में रहकर भी
तेरा अपना न रहा।
समन्दर के पास रहकर भी
प्यासा ही रहा
गर्मी- ऐ - हुस्न में जल गया जो आंचल तेरा
धूप ही धूप है ता हद
है कि इस जून, मै दरिया न रहा-
तुझे तोड़ना ही था मुझको
तो सलीके से तोड़ते
क्योंकि फिर मेरे टुकड़े भी
तेरे काम आते-
हमने ऐसी भी क्या खता कर दी
जो काबिले मुआफ़ी नही
तुम्हें देखा नहीं मुद्दतों से
क्या ये सज़ा काफ़ी नहीं?-
सज सकी तस्वीर कब दीवार से रहकर अलग
सुर्ख़ियाँ बेकार हैं अख़बार से रहकर अलग
सिर्फ़ वे ही लोग पिछड़े ज़िन्दगी की दौड़ में,
वो जो दौड़े वक़्त की रफ़्तार से रहकर अलग
जी सका है कौन अपने प्यार से रहकर अलग
सीढ़ियाँ बनतीं नहीं दीवार से रहकर अलग-
ख़ुश रहना आसान नहीं है दुनिया में
दुश्मन से भी हाथ मिलाना पड़ता है
यूँ ही नहीं रहता है उजाला बस्ती में
चाँद बुझे तो घर भी जलाना पड़ता है
तुम क्या जानो तन्हा कैसे जीते हैं
दीवारों से सर टकराना पड़ता है-
बहुत सुन्दर है तेरा संसार
ऐ संसार के मालिक
मगर जब सामने तू है
तो सपना कौन देखेगा?
अदाए मस्त से बेख़ुद
न कीजे सारी महफ़िल को
तमाशाई न होंगे तो
तमाशा कौन देखेगा?-
जब मुस्कुराने से न बनी बात
तो उसको हमने
मुंह चिढ़ा कर देख लिया
उसकी सूरत रही वही सूरत
उसने रोज़ नहाकर देख लिया-
निमंत्रण नहीं है, तो मत जाओ.
बताया नहीं, तो मत पूछो.
देर से निमंत्रण, तो अस्वीकार करो।
आप कभी भी योजना का
हिस्सा नहीं थे.
ये स्वीकार करो।-
उदास रहता है मोहल्ले में
बारिशो का पानी आजकल.
सुना है कागज की नाव⛵
बनाने वाले बड़े हो गए हैं...-
नही होता खाली ये आसमान
एक सितारे के टूटने से
सलामत थी ये दुनिया
तेरे आने से पहले
और सलामत रहेगी
मेरे जाने के बाद-