हाथ मेरे खाक तक नहींऔर आखों में ख्वाब बड़े हैं।कभी खुद से कभी खुदाहमने पुरी शिद्दत से लड़े हैं।:-विवरण "ख्वाबीदा" -
हाथ मेरे खाक तक नहींऔर आखों में ख्वाब बड़े हैं।कभी खुद से कभी खुदाहमने पुरी शिद्दत से लड़े हैं।:-विवरण "ख्वाबीदा"
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हर कोशिश नाकाम रहाकरेंगे पुरा ख्वाबफिर से एक नया ख्वाब रहा।।:- विवरण "ख्वाबीदा " -
हर कोशिश नाकाम रहाकरेंगे पुरा ख्वाबफिर से एक नया ख्वाब रहा।।:- विवरण "ख्वाबीदा "
अब इश्क़खुद से करू या खुदा से गुमशुदा तो दोनों हैं। -विवरण "ख्वाबीदा " -
अब इश्क़खुद से करू या खुदा से गुमशुदा तो दोनों हैं। -विवरण "ख्वाबीदा "
कीमत मुकर्रर हैं हर ख्वाब का पाना हैं तो अदा करना होगा-"विवरण ख्वाबीदा " -
कीमत मुकर्रर हैं हर ख्वाब का पाना हैं तो अदा करना होगा-"विवरण ख्वाबीदा "