रावण
ये जो बुराई कर रहे हो रावण की
ये तो बताओ क्या तुम श्री राम से हो
रही नही इंसानियत तुममे कही
और बनते भक्त श्री राम के हो
ये जो बुराई कर रहे हो रावण की
ये तो कहो क्या तुम श्री राम से हो
वो तो कटा बैठा सिर अपना
अपनी बहन की सम्मान को
हा वो पापी था
पर कभी डाला ना मा सिया पे हाथ वो
बात बात पे आती गुस्सा है तुम्हे करते बातें बलात्कार के हो
ये जो बुराई कर रहे हो रावण की
ये तो बताओ क्या तुम श्री राम से हो
बिद्वान था वो,उसने जगत पर जीत पायी थी
पूरी ब्राह्मण में था बजता डंक उसका
उसने सोने की लंका बनाई थी
कलंक लगते सब पर तुम
पर क्या तुम सही इंसान हो
ये जो बुराई कर रहे हो रावण की
ये तो बताओ क्या तुम श्री राम से हो
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