आप अपने दुख के जिम्मेदार स्वयं ही होते हैं, इसे नियति या परमात्मा के ऊपर ना छोड़े। अभी भी समय है सब ठीक करने के लिए । मन, मोह और मती पर खुद का अधिकार आवश्यक है ।
मत बोलो ना, "बहुत प्यार है तुमसे" । प्यार में क्या दिल दुखाया करते हैं दिल दुखा कर क्या मुंह फेर लिया करते हैं। माना मुंह फेर लिया तुमने...पर क्या मुंह फेर कर बात भी बंद दिया करते हैं ।