........पता नहीं चुप रहना समझदारी है या मजबूरी
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A critical Thinker , foodaholic ,
Likes nature more than people.ju... read more
( नासमझ चतुर ) भाग-1
मैं रोज एक गड्ढे में गिरता हूँ
और कीचड़ दूसरों पर उछाल देता हूँ
इसे मेरा हुनर मत समझना
गिरना मेरी आदत है और
उछालना मेरा शौक
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जो ज़माने को सुनायी दे
उसे खामोशी कहते है, और
जो आँखों में दिखता है
उसे तूफान कहते है-
Broken adults with rigid brain & inflexible mindset ,clearly rejects the idea of existence of better human beings than themselves. just to avoid acknowledging the sad reality of their own life.
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गुलामी अच्छी इस आजादी से
अच्छी उस चैन की नींद से, रातभर की करवटें
वो ख़्वाब अच्छे जो जिंदगी में रंग भरें
वो दिल अच्छा जो जोर जोर से धड़के
उन अधूरे सपनों को पाने की चाहत में
उस अमावस से, ये तेज़ दुपहरी अच्छी।
VIVEK #C•H•O-
मगर क्या ही करोगे
इस आजादी का
बेरंग, बेफिक्री, बेपरवाह जिंदगी का
बेधड़क दिल और बेख़्वाब मन का
क्या करोगे
यू जिंदा लाश बनकर-
आज़ाद हो तुम
रिश्तों की बंदिशों से
सपनों से, ख्वाहिशों से
जिंदगी की आजमाइशो से•••-
जब ख्वाहिश तंग करना छोड़ दे
जब फर्क़ ना पड़े कोई तुमसे मुह मोड़ ले
और दिल तुम्हारा अधूरे सपनों का तिलिस्म छोड़ दे
उस दिन समझ लेना आज़ाद हो तुम।
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बदलती दुनिया का नज़ारा लीजिये
अपेक्षाओं से थोड़ा किनारा कीजिये
वक़्त की रहती है चाल जैसी
कदमों को वैसा ही बढ़ाया कीजिये।
HAPPY NEW YEAR 2022-