Vivek Vistar   (विवेक विस्तार)
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टूट कर बिखरना बिखर कर एक हो जाना...
🌹🔶💎🔶🌹
इतना आसान नहीं है 'विवेक' हो जाना...
👑👑👑
Joined 31 October 2019


टूट कर बिखरना बिखर कर एक हो जाना...
🌹🔶💎🔶🌹
इतना आसान नहीं है 'विवेक' हो जाना...
👑👑👑
Joined 31 October 2019
6 APR AT 15:23

“है युगों से अधूरी मिरी प्रार्थना,
राम छूकर ये पत्थर अहिल्या करो।
अब तुम्हारे बिना एक पल भी कठिन,
लौट आओ कि मन को अयोध्या करो।”

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8 FEB AT 11:28

गर तुम बात दुबारा सुनती।
तब इज़हार हमारा सुनती।
हम लफ़्ज़ों से भी कह देते,
नज़रें काश इशारा सुनती।

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31 OCT 2024 AT 12:02

“है युगों से अधूरी मिरी प्रार्थना,
राम छूकर ये पत्थर अहिल्या करो।
अब तुम्हारे बिना एक पल भी कठिन,
लौट आओ कि मन को अयोध्या करो।”

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14 OCT 2023 AT 0:36

“ युद्ध ही शांति का अंतिम साधन है। ”

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14 SEP 2023 AT 10:29

“तुम्हारी कलाई पर घड़ी माथे पर बिंदी अच्छी लगती है
अंग्रेज़ी बोलना ठीक है पर तुम पर हिंदी अच्छी लगती है”

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10 JAN 2023 AT 23:26

यूॅं तो और भी जुबानें हैं, जिनमें हम अपनी बात लिख लेते हैं
मगर हिंदी वो ज़रिया है, जिसमें हर इक जज़्बात लिख लेते हैं
#हिंदी_दिवस

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8 JAN 2023 AT 20:48

किसी मासूम चेहरे के खयालों में उलझना था
कभी उसके बड़े नादां सवालों में उलझना था
उलझने को कई शय और भी हैं इस ज़माने में
कि सबसे खूबसूरत उस के बालों में उलझना था

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31 DEC 2022 AT 23:06

हमने कभी किसी को अपना पैगम्बर नहीं लिखा
खुद को जमीं से जोड़ा कभी अंबर नहीं लिखा

तुम मशरूफ रहे बस नई जनवरी के जलसे में
तुमने अपना बिछड़ा हुआ दिसंबर नहीं लिखा

इश्क़ में याददाश्त कुछ ऐसे हो जाती है तेज
हमने डायरी में कभी उसका नंबर नहीं लिखा

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24 DEC 2022 AT 18:37

"सबसे बढ़कर मां का रिश्ता है,
इस रिश्ते में बाकी दुनियादारी क्या?

इज़्ज़त दो तो सबकी मां को दो,
इसमें हमारी क्या और तुम्हारी क्या?"

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21 DEC 2022 AT 9:00

हमारे शहर का मौसम गुलज़ार हो जाए
सुबह को अगर तुम्हारा दीदार हो जाए

नज़र में रहा हमारा आँसू जो ख़त बनकर
नज़र से जुदा हो तो इश्तेहार हो जाए

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