मुझें जो गम मिला ख़ूब लिखा मैंने
यूं कई कागजों पर ग़म उतारा मैंने..।।
भटके इस दुनियां में मारे - मारे जब
काँधे पर उंगलिया महसूस किया मैंने..।।
कई रास्ते गलत जा रहे थे हम चलते
किसी ने झट से हाथ थामा देखा मैंने..।।
इस क़दर गमों के ठंड में जम गया था
उम्मीद की धूप आया लिए वो सेंका मैंने..।।
वो समंदर प्यार का ग़म समा चुका था
सब बदल चुका था उसे जब देखा मैंने।।-
भरोसा न रहा दुनियां का हमें..
अपनों से ही अपने को चुरा लिया हमनें...