ये कागज की सिलवटे ये स्याही की छींटे ये कलम ये दवात वो कमरे का झरोखा वो झरोखे से आने वाले तूफान का शोर और शोर के बीच विचारों और भावो की गहरी खामोशी लेकिन मैं एक भावहीन विचारहीन विवेकहीन व्यक्ति हूं तुम्हे लिख लेता हु तो मर्मज्ञ हो जाता हूं
कब तक सुनोगे औरों की कभी खुद की भी सुन लो ख्वाबों के,इरादों के लम्हों के ताने बाने बुन लो गम के हज़ार जरिए हैं पर खुशी सिर्फ खुद से है जब भी मौका मिले चूको नहीं छोटी छोटी खुशियां चुन लो