झुकी आँखें और हल्की मुस्कान
चमक नैन हैं छुप छुप के,
शहद होंठ मे गुलाब की कशिश
तुम्हे देखा जब मैने चुपके चुपके।
तेज धड़कनो पर न था जोर
देखना था मुझे ढकी जुल्फों उस ओर
ऊफ! ए अदा थी तुम्हारी
या हसीन शाम का मंजर
थोडी ही दूर था मई चुपके चुपके।
दिए के सामने वो मुस्काए
खड़ी थी सफेद कमीज मे समाए
हाथो से कान तक लट को हटाए
पर यौवन मे लट फिर से गिर जाए
कहना चाहता था पर रूक ही गया
घायल ही कर गई वो चुपके चुपके ।-
Thinker
Writer
Nature lover
@insta: Mr._Singh2706
तेरे आने से, साथ खुशबू का हवाओं से छूट जाता होगा,
सूरज भी देख तेरा नूर समन्दर मे डूब जाता होगा ।
जब-जब देखता होगा तुझे चाँद भी बेनक़ाब,
यकीन कर चाँद भी शर्मा के बादलों मे छुप जाता होगा ।
इतनी असीम रोशनी है तेरी एक-एक नज़र मे,
तुझे देखकर गुरूर उन सितारों का भी टूट जाता होगा ।
लिखते वक्त तेरी अदाओं का हर एक अल्फ़ाज,
हाथ उस लिखने वाले का भी शायद रूक जाता होगा ।
देखकर तेरी मासूमियत का हर एक अन्दाज,
खुद हुस्न भी तेरे आगे इबादत मे झुक जाता होगा ।
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अपनी सब बातें मुझे बताती हो वो,
इश्क की बातें करके मुझे दोस्त बुलाती है वो।-
मस्ती करने की ऊम्र मे,
मुझे मंजिल की बेताबी है,
मिलने की आरज़ू नही किसी से,
मेरी मुझसे मुलाकात काफी है,
लगी हैं पाबंदियाँ जकड़े हुई हैं कदमो को,
ऊम्मीदें कम हैं अपनो से, कमियाँ मेरी साथी हैं।
कुछ और वक्त का सफर है यह,
मेरा अभी इम्तिहान बाकी है।-
ना जाने मेरी मोहब्बत आज भी राज़ क्यों है,
ऊनसे हुई ना खता कोई भी,
ना जाने ये दिल उनसे नाराज क्यो है,
किये मुहब्बत-ए-इज़हार हमने हज़ारों दफा,
ना जाने गुमनाम ये दिल की आवाज़ क्यों है,
दर्द-ए-मुहब्बत सहता है दिल हर पल,
ना जाने उनकी वफा पर इतना नाज़ क्यों है,
हटेगा पर्दा कभी तो इस बात से,
हुआ ये दिल इतना नजरअंदाज क्यों है ।-
अपनी खुशी टांगने को तुम
क्यो कंधे तलाशती हो,
कमजोर हो, ये वहम क्यो पालती हो,
अपनी मुस्कुराहटों के फूलों को,
संघर्ष की मिट्टी मे खिलने दो,
अपने पंखों की ताकत को
नया आसमान मिलने दो।
😊Happy International Womens day😊-
घड़ी तो दिया था ऊन्होने तोहफे मे मुझे
पर वक्त शायद किसी और को दे रहे हैं,
हिस्सेदार था मै जिस प्यार का उनके,
वो हिस्सा शायद किसी और को दे रहे हैं।
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हम पता है, अकेले क्यो रहते हैं
क्योकि हम झूठ बोलकर अच्छा बनने का नाटक नही करते ।-
रात के दरिया का किनारा भी कभी आयेगा,
वक्त का क्या है हमारा भी कभी आयेगा ,
मेरे हिस्से मे कभी आया था अच्छा कोई दिन,
बस पूछना था कि दोबारा भी कभी आयेगा,
जमाना गुजर रहा है, यूँ बेसहारा जीते मुझे,
विश्वास है मुझे उस मालिक से सहारा कभी आयेगा ।-