Vivek Raj   (©Mr. Wordsmith)
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Joined 17 September 2017


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Joined 17 September 2017
15 JAN 2022 AT 23:33

तुम्हारे साथ गुज़ारी हुई वो वक़्त,
ख़ूबसूरत सी हमारी याद बन गई थी,
मगर हमें क्या पता था,
के वही अब तेरी नई फ़रियाद बन गई थी।

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23 OCT 2021 AT 20:14

उम्मीदों से ख़ता, और अपने भरोसे को नीलाम कर दिया,
कुछ इस तरह से ज़िंदगी हमने तेरे नाम कर दिया।

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12 AUG 2021 AT 4:10

दोस्तों के साथ चाई और गाड़ियों की बात रहती है,
कुछ इसी तरह ज़िंदगी हमारे साथ रहती है।

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11 JUL 2021 AT 20:48

कहो साथ जाओगी क्या?
के दर्द बोहोत होगा तुम्हें रक़ीब को छोड़ने में!
बोलो छोड़ पाओगी क्या?

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10 JUN 2021 AT 22:07

ऐ आवार्गी ले चल हमें भी अपने साथ,
के अब हमें घर ना रास आ रहा है,
ऐ आवार्गी ले चल हमें भी अपने साथ,
के अब हमें हमारा प्यार बुला रहा है।

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10 JUN 2021 AT 21:49

जिसको समझना हमारे समझ की परेह है,
उसको समझने के पीछे ना जाने हम कब से पड़े है।

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9 JUN 2021 AT 21:14

मन में हलचल लिए दिल द्वन्द कर बैठा है,
रक़ीब से इन्हें रहना था दूर,
ये उन्ही से सम्बन्ध कर बैठा है।

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29 APR 2021 AT 1:51

Lock the room, go to bed, cry to sleep

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29 APR 2021 AT 1:43

It would’ve hugged me,
Seeing how much i go through…
Everyday!

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14 OCT 2020 AT 0:25

रात आया, वो फिरसे रोया,
उन यादों के साथ, वो फिरसे सोया,
ज़माना हुआ करता था साथ उसके,
मगर उनके पीछे उसने ना जाने क्या क्या था खोया, रात आया, वो फिरसे रोया,
उन यादों के साथ, वो फिरसे सोया।

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