Vivek Patidar✍️   (विद्रोही विवेक)
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Joined 3 January 2018


Joined 3 January 2018
23 OCT 2019 AT 11:51

कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।
नाव की पथवार हो तुम,
समपन्नता की मेहनत हो तुम,
मेहनत का परिणाम हो तुम,
शायरी का सार हो तुम
कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।

मस्जिद की अजान हो तुम
पुजारी की प्राथना हो तुम
क्रष्ण की मीरा हो तुम
भगवान की आराधक हो तुम
कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।

चकोर पक्षी की ओस की बूंद हो तुम
पक्षियों की चहचहाहट हो तुम।
चाँद की चांदनी हो तुम,
ढलते सूरज की लालिमा हो तुम
कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।

किताब की प्रिय कलम हो तुम
किसी शायर की ग़ज़ल हो तुम
रात का घना अंधकार हो तुम
सूरज की पहली किरण हो तुम
कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।

मेरे चेहरे का तेज हो तुम
मेरी मुस्कान के पीछे का राज हो तुम
मेरी दिल की धड़कन हो तुम
मेरी मोहब्बत हो तुम
कैसे भूल सकता हु में तुम्हे।

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21 SEP 2019 AT 12:09

उसकी अनकही सुनासुनी को प्यार समझ बैठा हूँ।
उसके इकरार को बिना हथियार के वॉर समझ बैठा हूँ।
उसकी बातों को जहन में बिठाए कही बार ऐंठा हु।
जिंदगी की भाग दौड़ की थकान लिए बैठा हूँ।
वो माथा चुम दे सुकून ऐसी इंतजार में बैठा हूँ।
उसकी अनकही सुना सुनी को प्यार समझ बैठा हूँ।

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4 JUL 2019 AT 18:00

सुन ना पागल
ये जो तेरा साथ है ना
या तो मुझे बहुत ऊपर ले जाएगा ।
या तो बहुत नीचे।

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3 JUL 2019 AT 14:19

कॉलेज का वो पहला दिन ।

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29 JAN 2018 AT 12:02

‌वो चाहती है में उससे दूर चला जाऊ।
bt मेरा मकसद तो उसे पाना है।
कभी कभी आती थी।
बहुत सी खुसिया दे जाती थी।
अब तो उसने आना ही छोड़ दिया।
पर उसे नही पता की. में भी बहुत जिद्दी हु।
जब तक उसे पा न लू।
हार नही मानूंगा।
सायद मेरे में ही कुछ कमी होगी।
मेरी तेयारी में ही थोड़ी कमी होगी।
नही तो वो इतनी पास आकर मुझे .
मुझे यु छोड़ कर ना जाती।
बहुत रुला लिया तूने मुझे।
पर हार नही मानूंगा ।
तुझे पा कर ही मानूंगा।
नही मानी तो छीन लूँगा।
जितना रुलाना है रुला ले मूझे।
जब तक नही थाकुंगा .जब तक तुझे न थका दू। शरीर तो रोज थक जाता। बात तो तब नई होगी जब तुझे पाने में मेरा मन थक जाए।
पर तेरी इतनी ओकात नही की मेरे मन को तू थका दे।
जितना दूर जाना हो चले जा।
पर मेरी सीमा से बहार नहीं जा सकती।
क्योकि जिस सफलता ने मुझे मेरे माता पिता। और मेरे गाव से मुझे दूर किया उसे में पाकर रहूँगा।

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20 JAN 2018 AT 9:17

मुझे सच बोलते नही आता।
और लोगो को लगता है की में झूठ बहुत बोलता हु।

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9 JAN 2018 AT 23:51

bt हम जेसा सोचते और वैसा करते है ।तो हम वेसे ही बन जाते है।

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5 JAN 2018 AT 23:03

जो समज ही नही पाए थे इस दुनिया को।
उन्हें वापस बुला लिया अपनी दुनिया में।
तेरे हाथो ने ही गाड़ी को चलाया था।
मासूम थे तेरा क्या बिगाड़ा था।

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3 JAN 2018 AT 15:55

तेरे जाने के बाद
मेरी कलम ने चलना सिख लिया

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3 JAN 2018 AT 11:44

में मरने से नही डरता ।
ना ही अभी मरना चाहता हु।
परन्तु मरने से पहले बहुत कुछ करना चाहता हु।
जिससे कम से कम 10 साल मुझे ये दुनिया याद रखे।

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