Vivek Nagar   (क्रिसुर)
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यू तो हम लिखने का शौक नहीं रखते
पर ये कमबख्त कलम है की अपने आसूं ही नहीं रोक पाती
Joined 22 April 2018


यू तो हम लिखने का शौक नहीं रखते
पर ये कमबख्त कलम है की अपने आसूं ही नहीं रोक पाती
Joined 22 April 2018
16 JUL 2020 AT 21:14

The problem with loving humans is that they evolve with time

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10 MAY 2020 AT 15:40

Meri maa ko sab aata hai !

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1 FEB 2020 AT 22:06

आज फिर दिल हार कर आए हो !
(In Caption)

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28 JAN 2020 AT 17:44

क्यों चाहत है ?

क्यों चाहत है किसी को चाहने की
क्यों खुद के लिए ऐसी चाहत कभी आई नही
क्यों चाहत है दिल लगाने की
क्यों किसी ने हमारे लिए ज़ुल्फ़ें सजाई नहीं
क्यों चाहत हैं की पढ़ लू किसी को
क्यों किसी को हमारी आंखे भाई नही
क्यों चाहत है की हसू किसी के साथ
क्यों हमारे जीवन की बुझी बाती किसी ने जलाई नही
क्यों चाहत है की जादू जैसा हो सब कुछ
क्यों "मेरी वाली अलग है" कहलाने वाली आई नही
क्यों चाहत है की चाहत हो मुझे
क्यों खुद मैं खुश रहने की किताब मुझे किसी ने पढ़ाई नही !

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19 DEC 2019 AT 21:40

वो रूप रंग जात-पात क्या देखते हो
कि इंसान है, क्या इत्ता काफ़ी नहीं !

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10 DEC 2019 AT 21:58


नाजायज़ मोहब्बत !
(In Caption)






























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13 OCT 2019 AT 15:33

To Everyone I Parted With.

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11 OCT 2019 AT 12:20

तू रास्ते सी है मैं मुसाफ़िर सा हूँ
चल संग मंज़िल खोजते है !

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10 OCT 2019 AT 12:28

वो तो समय का तकाज़ा है
वरना
अपने मुखौटे तो हम बहुत पहले छोड़ आए थे

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25 JUL 2019 AT 22:11

Who are you to judge ?

(In Caption)

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