Vivek Mishra   (vKm)
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Joined 13 January 2018


Joined 13 January 2018
23 HOURS AGO

"Pehle itna achcha nahin likh paate the,
Par ab tum kaafi achcha likhne lage ho❤ "

" Haan... gunaah-e-ishq jo kar baithe,
Dil-wil bhi tudwaa liyaa,

Aur daag usske pyaar ka,
Apne zehen mein samaa liyaa,

Ishq mein toh naaqaami hi haanth lagi,
Par yeh ek hunar maine paa liyaa. "


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17 APR AT 23:12

पूछता हूँ ख़ुद से कि,

जितना था तुम्हारा मैं,
क्या उतना किसी का हो पाऊँगा,
तुम रूह मेरी, तुम जिस्म मेरा,
क्या तुमसे जुदा मैं हो पाऊँगा,
पिरोयी जो जज़्बातें तुम्हारे लिए,
क्या किसी और के लिए पिरो पाऊँगा,
तुमको इतना पा लिया हूँ कि,
अब तो मेरा हिस्सा बन चुकी हो तुम,
पूछता हूँ मैं ख़ुद से कि,
क्या तुमको कभी मैं खो पाऊँगा?

है मेरे अंदर लहू जितनी,
उससे ज़्यादा तुम समाई हो,
ये रूह तुम्हारा लगता है,
तुम ही रूह गिरफ़्त कर पायी हो,
मेरा आँसू तुम, मेरा चैन भी तुम,
और तुम्हीं मेरी तन्हाई हो,
मेरे सूखे बंजारे ज़मीं पर,
तुम ' वर्षा ' बरस कर छाई हो,
जी करता तुम्हारा सर चूमने को पर,
अब महज तुम यादों की परछाईं हो,

अब महज तुम यादों की परछाईं हो।

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12 APR AT 13:37

काम से ' शेर ' बनों,
बातों से नहीं।

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11 APR AT 16:06

इस 'Ghibli-Babli' ने ना जाने कितने ही one-sided lovers की उम्मीदों पे ताला लगा दिया होगा...

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6 APR AT 10:02

जब कोई लड़की अचानक से ही ज़रूरत से ज़्यादा भाव खाने लग जाए तो समझ जाओ वो relationship में चली गयी है,

और जब वही लड़की अचानक से तुमको भाव देने लग जाए,
तो समझ जाओ भैया के हो गया है break-up.

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5 APR AT 11:08

Suggest करना काफ़ि आसान होता है,
पर समझ पाना बड़ा मुश्किल।

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24 MAR AT 16:21

तुम चाँद हो तो मैं दाग़ सही,
पर हिस्सा तो तुम्हारा ही हूँ ना,
तुम सुर तो मैं राग सही,
मेरा सहारा तुम ही हो ना,
तुम बादल हो तो हूँ बारिश मैं,
तुम तड़प हो तो हूँ गुज़ारिश मैं,
तुम हवा हो तो मैं साँस हूँ,
तुम बांसुरी तो मैं बाँस हूँ,
तुम जिज्ञासा हो तो मैं तलाश हूँ,
तुम चाहत हो तो मैं आस हूँ,
तुम सिंदूर हो तो मैं सुहाग सही,
पर हिस्सा तो तुम्हारा ही हूँ ना,
तुम चाँद तो मैं दाग़ सही,
पर हिस्सा तो तुम्हारा ही हूँ ना?

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22 MAR AT 1:15

सुकून की तलाश में सुकून को ही खोने लगा हूँ मैं,

बस्ते काँधे पे जचा करते थे पर अब नाकामी के बोझ को ढोने लगा हूँ मैं,

सच बताऊँ ना, तो एक वक़्त पे बहुत अच्छा लगता था ख़ुद को आईने में देखना, बाल सवारना, ख़ुद को निहारना,

और अब...

अब भी आईना तो साफ़ ही रहता है, यार ख़ुद ही धुंधला होने लगा हूँ मैं।

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21 MAR AT 12:41

तू आफ़ताब तो मैं दोपहर हूँ,

तू सागर है तो मैं तेरी लहर हूँ,

तू ज्वालामुखी तो आग हूँ मैं,

तू तांडव है तो मैं कहर हूँ।

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16 MAR AT 5:55

इश्क़ जो तुमसे हुआ,
वो ना पहले हुआ,
और ना ही वैसा दोबारा होगा,
शायद कोई आ जाए ज़िंदगी में,
पर मेरे आसमां पे लिखा पहला नाम सिर्फ़ तुम्हारा होगा,
इश्क़ जो तुमसे हुआ,
वो ना पहले हुआ,
और ना ही वैसा दोबारा होगा।

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