VIVEK KUMAR SINGH   (विवेक कुमार सिंह)
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Joined 4 November 2017


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Joined 4 November 2017
16 MAR AT 9:22

आज खड़ा हो प्रकाश को,
मनुज सर्वस्व झोंकना चाहता है।
पर अंधकार सफेदपोश हो,
उजाला रोकना चाहता है।।

जो उदित होगा सूर्य ज्ञान का,
खग करेंगे कलरव-गुंजन।
बदल देंगे गान धरा का,
कर देंगे नभ का स्पर्शन।।

पर हो घन बुराइयाँ सारी,
आकाश ढकना चाहती हैं।
ओढ़ा आवरण काले रंग का,
अरहान रोकना चाहती हैं।।

हो चाहे लाख रुकावटें,
रोशनी बस आकर रहेगी।
सुंदर मनोहर सुबह अपनी,
ताज़गी दीखाकर रहेगी।।

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14 MAR AT 22:08

अपना धैर्य‌ अब तुम्हें और आजमाने नहीं दूंगा,
जो फ़िर पीछे मुड़कर देखोगी, जाने नहीं दूंगा।।

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5 FEB AT 20:41

मेरी आँखों पर छाया तेरा पहरा बहुत खूब होगा,
मौत! मुझे लगता है तेरा चेहरा बहुत खूब होगा।
यूँ ही नहीं छोड़ देते हैं तन्हा लोग जिंदगी को,
तेरा सबकी रूहों से, रिश्ता गहरा खूब होगा।।

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29 AUG 2023 AT 23:15

न तो कोई ऐब है उसमें,
न ही‌ किसी का बुरा करता है।
मुझे तो बस इसलिए खटकता है,
क्योंकि तुमको अच्छा लगता है।।

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13 JUL 2023 AT 19:24

यौम-ए-पैदाइश पर कहता रहा कुछ मांग लो,
रज़ा फकत यही रही, मुझी से मांग ले मुझको।

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8 JUL 2023 AT 19:52

कई रातें‌ न तो सोया है सही से,
कई रातें नामुकम्मल जगा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है ,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।

ये आँसू, ये मुस्कान,
ये मोहब्बत मेरी जान!
अगर थोड़ी सी बद्दुआ है,
तो थोड़ा सजदा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।

कभी रूठना, कभी मनाना,
एक-दूसरे पर हक जताना।
ऐतबार है कभी-कभी,
तो‌ कभी शिकवा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।।

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10 JAN 2023 AT 20:54

समझ से परे ये कैसी परीक्षा हुई जाती है,
जिंदगी इतवार की प्रतीक्षा हुई जाती है।।

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4 JAN 2023 AT 12:46

आठों पहर घर में ठहरने वाले,
सागरों‌ की गहराइयाँ नाप आते हैं।
ऐसे तो मुझे कोई सपना नहीं आता,
पर जब आता है तो आप आते हैं।।

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7 NOV 2022 AT 9:20

कोई और हथियार था नहीं,
एक कलम से लड़ा हूँ मैं।
बाकी लोग जब छोड़ गए,
रचनाओं संग खड़ा हूँ मैं।

तुम जो पूछते हो मुझसे,
कि 'विवेक' क्या उम्र है तेरी?
जबसे लिखना शुरू किया है,
जोड़ लो, उतना बड़ा हूँ मैं।।

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2 NOV 2022 AT 16:42

आँखों पर पट्टी बांधे लोगों से,
मैं अपनी ख़ता पूछता रहा।
मुझे उड़ना आकाश में था, और,
मैं मुर्गियों से पता पूछता रहा।।

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