'अखियाँ'- तेज तीर सी तरकश मे बैठे,
'तेरी यह अदा' - मन मन से बोल यही संग बैठे।
'नरम सी है' तुझे और तेरे महसूस से सुर्ख यह नीला रंग,
'डेढ़' नज़्म लिख दूँ,
तुम और तुम्हारी यह नर्म नीले लिबास् का क़िस्सा
'पूछे आज उनसे', जिनसे तुम बातों ही बातों मे कभी
'होंठो की हँसी' और कभी गुनगुनाते,
सब्र तो बहुत हुई, एक झलक की दीदार को मैं बनज़ारा बैठे
यूँ मुश्कुराये और एक क़िस्सा,
कहानी को मुकम्मल हो गयी।
-
किन लफ्ज़ों में लिखूं मैं तेरी अहमियत,
बस तुम्हारे बिन हम अधूरे से है..!!!
-
The pinch and the punch,
Their intensity and the impact,
The romantic affair
And the magenta flames
Pastel it gets then
clear fabric is visible.
I embrace the familiar fierceness
The club and the packs
All awakens when
Vision is musky.
-
The Eclipse and
The Full moon
Is the most awaited journey
The Unexpected,
The Route,
The Beauty of the Cosmos
The days full of experiences
And the nights of expectations.
The fabric is maroon
as the shade of skin.
-
The mess,
The charm,
The beauty,
The friction,
The blood,
The gain,
The mistake,
The shreds,
The wine,
The food,
The coruse,
The essence and
The Emotion
Turning into the mirage with guilt with a knife of grief.
-
रचना संख्या –१ (आंखों का उलझना)
तुम्हे, बेशक याद नहीं होंगे वो दिन
जब हस्ते खेलते हम साथ हुआ करते थे,
मेरी बातों पर तुम कितने ही
विषय लिखा करते थे।
सर्दियों की शाम फिर से आयेगी
और गुलाबी – हरे की लिबास ओढ़,
हर लम्हें का याद जरूर तुम्हें दिलाएगी।
मीलो दूर तक साथ, और वहा से दिल
का रास्ता खोजा है हमने
जब ऊपर चांद और नीचे तुम्ह होते थे,
हर शाम सुनहरा लगता था।
याद है मुस्कान को नकाब से छुपाना,
और शरबती आंखों से सब कह देना
हर दिन ही नही,
अनकही अनसुनी सारी रात भी याद है
मुझे ।-
कुछ तो बात है
इन आंखों
में वरना क्यों
डूब जाता हूं
मैं हर बार,
जब भी संभालने
की कोशिश करता हूं
खुद को।
तेरा सुरूर नशीला है,
और हम इसके आदी हो
चुके है।
-
सच कहता हूं,
कल के बीज हमने बो दिया
चिंगारी से राख तक का सफर
देखा है,
वक़्त का खौफ़ नहीं मुझे
भस्म रगड़ रख हैं
हमने!
-
जद्दोजहद!
फिर आज एक शुरुआत होगी
जीवन और चक्र का अलग प्रेम है,
सिर्फ योग्य ही इसका रस को पावे है
उम्मीद आज फिर नई मुलाकात की होगी
बन कर तेज ज्वालामुखी
अंत केवल राख ही होगी।
-
रुक गई मेरी नजरें,
एक टुक तुझे दिदार करने को।
क्या तुम्हे पता नहीं कि
रस्में निभाना एक कला हैं।
अगर मैं कलाबाज हूं,
फिर यह छलावा क्यों हो रहा हैं?
...
टिप्पणी तुम्हारी
उदाहरण तुम्हारा,
फिर फरेबी मैं क्यों हूं?
डोर में गांठ जब लगाया
तब कह दिया होता की
यह धागा भी तुम्हारा
कायल है । — % &-