Vivek Kashyap   (©विवेक "The_लेखक"♥)
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जज़्बात को शब्दों के रूप में पिरोने में प्रयासरत्त ।।
"कलम का पुजारी"
"आवारा लेखक"
Joined 3 November 2017


जज़्बात को शब्दों के रूप में पिरोने में प्रयासरत्त ।।
"कलम का पुजारी"
"आवारा लेखक"
Joined 3 November 2017
9 AUG 2022 AT 10:55

जीवन एक ऐसा इम्तेहान है जिसके लिए जितनी भी तैयारी कर लीजिए यह आसान नहीं होना वाला ।

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6 JUL 2022 AT 14:56

ना किया कर अपनी दर्द ए दिल को शायारी में बयां ,
लोग और टुट जाते है हर लफ्ज को अपनी दास्तां समझ कर !!

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2 JUL 2022 AT 9:34

जब तक हम चुप रहकर सब बर्दास्त कर लेते है,

तब तक ही हम दुनिया को अच्छे लगते है ।।

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23 JUN 2022 AT 14:37

तारीफ़ हर कोई करे ये कभी चाहा नहीं ,
कोई बुरा ना कह सके ये कोशिश जरूर की ।।

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20 JUN 2022 AT 8:09

अभी तेरी जुदाई का ज़ख़्म सही से भरे भी नही थे ,
की तूने एक और ज़ख़्म दे दिया किसी और का होकर ।।

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24 DEC 2021 AT 20:43

दुःख इस बात का नहीं की तुम बदल गए ,
दुःख इस बात हैं कि हम संभल गए ।।

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20 JUN 2020 AT 19:35

जला दो हर क़िताब इश्क़ की ,

हर इश्क़ को तक़दीर नही मिलती..!!💔

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5 MAY 2020 AT 19:32

एक बाेतल शराब के लिए कतार मे जिंदगी लेकर खडा हाे गया,

माैत का डर ताे वहम था, आज नशा जिंदगी से बडा हाे गया ।।

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25 APR 2020 AT 15:11

डरी सहमी धीरे धीरे चुपचाप सर झुकाएं
कमसीन तनख्वाह चली आ रही थी ,
सामने- किश्त,बिल,खर्चा, और जरुरत नाम
के गुंडे सीटी बजा रहे थे ,
और आखिरकार तनख्वाह लुट ही गई ।।

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25 APR 2020 AT 15:10

डरी सहमी धीरे धीरे चुपचाप सर झुकाएं
कमसीन तनख्वाह चली आ रही थी ,
सामने- किश्त,बिल,खर्चा, और जरुरत नाम
के गुंडे सीटी बजा रहे थे ,
और आखिरकार तनख्वाह लुट ही गई ।।

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