विष्णुकांत चतुर्वेदी  
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Joined 25 May 2020


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Joined 25 May 2020

"भारत का विजयी रथ बढ़ चुका है, मनोवैज्ञानिक स्थिति अगर अनुकूल और सकारात्मक हो तो एकत्व भाव से किया गया प्रत्येक कृत्य व्यक्ति, समाज और राष्ट्र तीनों को गौरवान्वित करेगा! विश्व में अपनी बल्लेबाज़ी और फिर कप्तानी का लोहा मनवाने वाला रोहित आज पुनः प्रमाणित करता है कि उसे क्यों विश्व के सफलतम कप्तान होने का गौरव प्राप्त है! एकत्व और एकत्र भाव से खेल को खेला गया है इसीलिए प्रत्येक का प्रदर्शन निखर कर आया है!
बधाई हो एशिया पर सिंघासनारूढ़ होने के लिए और शुभकामनाएं विश्व का सिरमौर होने को!"

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"भाषाई क्षितिज के वैविध्य तत्व का विराजमान होना अपनी सांस्कृतिक अंश के परिवेष्ठन में,और वाणी से उन्हीं का उद्भव जो कलम की स्याह से, निष्कर्षत अपनी वैज्ञानिकता और मूल्यपरकता सिद्ध करती है!
हिंदी दिवस की इस बेला में अपनी भाषाई गौरव को रेखांकित करें, क्योंकि अंग्रेजी नहीं आएगी तो चलेगा लेकिन हिंदी नहीं आएगी तो काम रुक जायेगा!"
शुभकामनाएं हिंदी दिवस पर 🙏✍️

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"वैसे तो हम पागलों से डरते हैं पर कोई हमारे प्रेम में पागल हो तो हम खुश होते हैं!"

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"श्रीकृष्ण का अर्थ प्रतिकूलता में अनुकूलता के अंश का अपने प्रस्फुटन के प्रकर्ष पर होना है!"

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"A teacher has always been the greatest servant in making the Civilization by steering the ship of Culture in the minds and acts of the entire Generation. The history is completely indebted to them as they helmed this world in nurturing the humankind."

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"विपरित परिस्थितियों में अपनी हताशा और अनुकूल स्थितियों में उत्साह इन दोनों के प्रकर्ष का स्वामी आपकी इंद्रियां हैं और इन दोनों में समन्वय अपनी विलक्षणता की परिचायक हैं..."

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"Men believe that they are the Rocks but they are always bound to pave the way for Rivers as Women, because one can't stop them...!"

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"जगत पालनहार के जिस वाद्ययंत्र से प्राण आनंदित हो उठता है,उसके बारे में यह जगत अभी भी भ्रांतियां लिए हुए हैं! नारायण ने अपनी राधा के लिए बंसी चुनी है बासुंरी नहीं! विज्ञान लगाओ और अंतर स्वयं स्पष्ट हो जाएगा...."

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"ईश्वर जब व्यक्ति को अनेकों प्रतिभाओं से ओत प्रोत रखता है तो उसका मजाक दुनिया बनाती है जब उसे कुछ हासिल नहीं होता!"

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"प्रकृति ने जिस सर्जना के बीज को बोया है यह सोचकर कि वह आदिस्रोत बन जीवन को अंकुरित कर उसके पुष्पन और पल्लवन का मनुहार बीड़ा उठाएगी, उसे हम मां कहते हैं!"

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