दूर से ही देखने दो हमें उन्हें......
पास से चांद के हुस्न में दागो की
खूबसूरती ढूंढ पाना
सबकी हैसियत की बात नहीं ।-
Future engineer by profession
Poet by heart
घोर अमावस निशा है माना,
तुम अपने भीतर का राम जगाओ....
दिए स्वतः ही जल उठेंगे।
क्षणभर में राज्य गया तो क्या हुआ,
माता की एक कौर के कारण वनवास हुआ तो क्या हुआ.....
निज मात-पिता के कारण तुम,
अपने भीतर का त्याग जगाओ,
अपने भीतर का राम जगाओ,
दिए स्वतः ही जल उठेंगे।
एक शबरी मां भी बैठी होगी,
अपने राम के इंतजार में।
तेल नहीं उसकी दियाली में ,
बस विश्वास से रोशन उसका दीपक।
उस शबरी मां के राम बन कर
उसके भीतर ,
उसका अटूट विश्वास जगाओ,
दिए स्वतः ही जल उठेंगे......
रावण-समाज में शोषित सीता,
बैठी राम के इंतजार में,
रावण-समाज की उस तमस से,
तुम नारी का सम्मान बचाओ,
दिए स्वतः ही जल उठेंगे.......
सबके भीतर एक ज्ञानी रावण,
भूले बैठा ज्ञान को अपने
अमृत-पोषित अहंकार के अंतर तम से।
वध कर दो उस अज्ञानी नृप का....
तुम सच्चा ज्ञानी,
वनवासी वैरागी राम बन जाओ....
दिए स्वतः ही जल उठेंगे।
तुम अपने भीतर का राम जगाओ,
दिए स्वतः ही जल उठेंगे!
-विश्वास-
हे पथिक तू चलता जा,
हे पथिक तू चलता जा......
राह में आए शूल अगर तो ,
निज-चरणों के रक्त सहज तू,
सोम बनाकर पीताजा!
हे पथिक तू चलता जा,
हे पथिक तू चलता जा.....।
राह में आए बाधा-विविध तो,
निज-कर को अपने पंख बनाकर,
तू पंछी बनकर उड़ता जा.....
हे पथिक तू चलता जा,
हे पथिक तू चलता जा......।
पथ पर जो अंधियारा छाए,
घोर अंधेरा ! लक्ष्य नयन ओझल हो जाए....,
श्रम-स्वेद से भीगे निज मुख की आभा को,
तू सूरज बनकर उगता जा.....
हे पथिक तू चलता जा,
हे पथिक तू चलता जा!
-'विश्वास'-
तू आजाद परिंदा ,तेरा आकाश बसेरा है.....
शांत से समंदर में गहराई होती है,
सूरज के उजाले में भी छिपि परछाई होंती है।
बादलो को छूना तेरे पंख चाहते है,
क्या हुआ उड़ न सका तू अभी तो,
जीवन मे भी नित नए हर रंग आते है।
हर रोज एक नया सवेरा है,
तेरा आकाश बसेरा है!
-विश्वास-
बहुत लंबा सफर है सिद्धांतो का,
बस खेल नही अल्फाज़ो का,
पैर वाले चल पाए ये जरूरी नही,
पर वालो को आसमां मिल जाये ये जरूरी नही,
बहुत लंबा सफर है सिद्धांतो का,
इस पर चलना मर्ज़ी है आरज़ू की, ये मज़बूरी नही।।-
ये गूरर ये ,फितूर ये मकां, ये मकाम
आँसू की बस एक छट्टी हो कर रह जाता है....
सब मिट्टी हो कर रह जाता है.....-
वो किताबो में दर्ज कहाँ?
जो तजुर्बे से अक्सर जीना सिखा जाती है ,अपनो की जिंदगी यहाँ.......-