एक सवाल है तुमसे जवाब ख़ुद को देना मुझे नहीं
साथ तो छोड़ दिया मेरा तुमने अब किसी और का साथ दोगी क्या
जिस तरह मैं हाथ थाम लेता था तुमरा उस तरह किसी को को थामने दोगी क्या
क्या तुम्हें बुरा नहीं लगेगा की तुम्हें कोई और छुएगा तो
जिस तरह से मैं पास आता था उस तरह से कोई और पास होगा तो
सच बताओ वो निशान प्यार के जो मैंने तुमरे गले पर कई बार दिए हैं
वो निशान किसी और को बनाने दोगी क्या
वो जो प्यार से तुम मुझे देखा करती थी
किसी और को भी ऐसे ही देख लोगी क्या
क्या कोई होगा जो तुमरे लिए सामने बैठ कर तुम्हें गाने सुनाया करेगा
ऐसा भी कोई होगा क्या जो रोज़ तुमरे सपनों में आता होगा
इस शहर की हर गली हर जगह हर दुकान पर हमारे यादें हैं
उन यादों को तुम दिल से मिटा दोगी क्या
सच बताओ जिस तरह मुझसे प्यार करती थी
उससी तरह किसी और को प्यार करोगी क्या
वो साथ रहने की कसमे उसके साथ भी झूठी खाओगी
या किसी और के साथ , तुम ख़ुशी से रहोगी क्या
मेरे नाम की मेहंदी मेरे नाम का सिंदूर लगाया है तुमने
इतनी आसानी से सब कुछ भुला दोगी क्या
इन सब सवालों का जवाब मुझे नहीं चाहिए
अपने दिल से पूछना की मुझको भुला दोगी क्या-
Naa Saath Hai Kisi Ka Na Sahaara Hai Koi...!
Na Hum Hain Kisi Ke Na ... read more
रास्ते मंजिलें हरकतें जज़्बात वही हैं,
बस एक शख़्स बदला है उसने बाकि हिसाब वही है।-
सब कुछ पाके भी, सब कुछ खोया करते हैं
आज कल अमीर लोग ही सबसे गरीब होया करते हैं।-
Abhi Toh Uski Yaad Baaki Hai
Din Dhal Gya Abhi Saari Raat Baaki Hai
Wo Aaygi Meri Tanhai Ban Kr
Mere Sath Bethegi Baate Kregi
Jab Thak Jaaunga Main Sochte Sochte
Tab Jaake Meri Aankho Me Nind Bharegi-
क्या कहा?
आज कल कि मोहब्बत में वफ़ा ढूंढते हो,
बड़े नादान हो, ज़हर कि बोतल में दवा ढूंढते हो।-
मेरी ख़ैरियत तो वो दिखावे के लिए भी नहीं पूछता,
क्योंकि वो जानता है कि मुझे कुछ होता ही नहीं है।-
बड़ी आसानी से उसने एक एहसान उतार दिया
जिस दिन का इंतज़ार ५ साल तक किया था
उस दिन को उसने यूही निकाल दिया
बहुत कुछ सोचा था मैंने मगर सब ज़ाया हो गया
जो अब तक मेरा सब कुछ था
एक पाल में पराया हो गया-
जब मिलना ही नहीं था तो मिला ही क्यों था,
जो निभा न सका वो वादा किया ही क्यों था।-
मैं भी तेरे हाथो के नाप की चूड़ी लेता
तेरे लिए हरे रंग का सूट लेता
पायल लेता बिंदी लेता
घेवर और फेनी लेता
तू अगर साथ होती
तो मैं भी तुझको सब कुछ देता-
मैंने कभी उसको तरसता नहीं देखा
किसी सूरत में उसको तन्हा नहीं देखा
देखा है मैंने खुदको तन्हा रोते हुए
मेरे हाल पर कभी उसका बिलखना नहीं देखा
ये जो मेरा हाल है इसका ज़िम्मेदार भी मैं हूँ
क्योकि मैंने तो खूब देखा उसको कई ग़ैरो साथ में
मगर उसने मुझे कभी किसी और के साथ नहीं देखा-