वो घर जहां कभी उजियारा बसता था...
समय के बोसे ने उसे #Store _room का दर्जा दिला दिया
अब वहां रोज़ नहीं होती जगमगाहट
बस वीरानियत और पुराने बक्सों से भरा आशियाना
जो कभी कभार खुलता है
कुछ देर रोशन होने के लिये
फिर बीतता है गहरा सन्नाटा
जो कहता मालूम होता है कि
पले और कढ़े यही से हो तुम ज़बाब
क्या इतनी जल्दी मुझे भुला पाओगे क्या....
वो घर जहां कभी उजियारा बसता था...-
कभी कभी password को भी
OTP बनाना पड़ता है...
कुछ दर्द का हमेशा छिपाना पड़ता है
रहता है गम, आसूं भी गिरते हैं कभी कभी
फिर भी चेहरे की हंसी को भी
मुस्कान बनाना पड़ता है
कभी कभी password को भी
OTP बनाना पड़ता है...-
वक्त था तुम्हारे पास बदलने के लिए स्थिति
कमबख्त एक जिद्द के खातिर
वक्त ही खत्म कर दिया।-
वो मोहतरमा न जाने कहाँ विद्यमान है...
जिसे ढूंढते ढूंढते सब परिवार के शख्स परेशान है
वो इस बात से अभी अंजान ही है
वो मोहतरमा न जाने कहाँ विद्यमान है...
जमाने के हर शख्स को
अब उसकी सख्शियत जानने की है ख्वाहिश
हर आशीर्वाद में बस उसका ही जिक्र है
उसे पता ही नहीं ये कोई फिक्र है
इस प्रतीक्षा का जल्द ही हो अब अंत
यही दुआओं से भरी सुबह और शाम है
वो मोहतरमा न जाने कहाँ विद्यमान है...
🧿😂♥️🤔-
आखिर!!
खुद से ही खुद की पसंद को मारा है जो मैंने
ये इल्ज़ाम कुबूल करता हूँ
कातिल हूं जनाब मैं उसके सपनों का
जो दिखाया उसे और पूरे कर न सका
हक है उसको मुझको बुरा कहने का
आखिर!!
खुद से ही खुद की पसंद को मारा है जो मैंने
शायद उसकी बददुआ यह कबूल हो जाय
और जल्द ही राख बन जाऊ-
मैं मानूंगा सब अपनी ग़लती
बनकर गुनहगार उसका
बस वो इतना सा कह दे....??
यक़ीन है मुझको तुम पर
तुम कोई आम इंसान तो नहीं
जिसने मिलाया था हमको
उसपर था हमेशा से विश्वास
और अंत तक उस पर ही रहेगा....-
ये समस्त इच्छाएं तो मेरी भौतिक हैं
जो मरने पर जल ही जाएंगी
वो पूर्ण न होने पर मन कभी
थोड़ा विचल सा जाता है
मगर जो मांगा था आपसे
वो नायाब रत्न
देकर भाग्य को सौभाग्य बना दिया।
बस और कुछ नहीं चाहिए
इस कुछ नहीं में भी
बहुत कुछ आपका शामिल है प्रभु
कोटि कोटि नमन पार्वती पतयये को सदा।
🙏🧿😊-
तुम्हारा शहर एक आशियाना न दे पाया मुझको...
पनपने के लिए
लगा उसे बिखर सा जाऊंगा सदा के लिये
उसे पता नहीं अभी कि
मेरा शहर
जैसा भी है
सकून ए आशियाने को
ताउम्र नवाज़ेगा मुझे....
#लखीमपुर ♥️😊-
ये वक्त क्यों नहीं कटता
जल्दी से...
उस पल के लिये
जो बनी है सिर्फ मेरे लिए
ये गुरूर नही
ये मेरे ईष्ट की ही कृपा है
कि वो भी मेरे ईष्ट से जुड़ी है
बस वो नायाब समय
जल्द ही दस्तक दे
उस नायाब के लिये
जो बनी है सिर्फ मेरे लिए
ये वक्त क्यों नहीं कटता
जल्दी से...-
दिल के जज्बातों को
खुद से रूबरू कराता है
ये आंसू ही है जनाब
जो कभी सुख में बहकर
खुशियां बरसाता है
और कभी गम में बहकर
जिगर के भार को हल्का कराता है-