तुम बहन हो
हमारी होने वाली अर्धांगिनी की
प्रतिलिपि की तरह
कोई कैसे अनदेखा कर सकता है तुम्हें
रिश्ता बना है एक नया खास आपके साथ भी
उस नायाब से रिश्ते को किसी की नजर न लगे।
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं हमारी साली साहिबा को।
♥️😊🥰-
मैं डरता बहुत हूँ उस पल से
जब तुम न दिखोगे कहीं
काश वो दिन न आए कभी
उस वक्त न जाने क्या होगा मेरा..
मैं रह पाऊंगा क्या तुम्हारे बिना
तुम बिन मेरी कल्पना ही शून्य है
उपजा आप से ही हूं
और मिलन भी आपमें चाहता हूं
क्या होगा मेरा भी वो कल्याण
आत्मा से परमात्मा का मिलन...-
तमन्नाएं पूरी होती ही कहां है
लोग ठहाके लगाकर इल्ज़ाम लगाए बैठे हैं
लड़का मौज में है आजकल...
😲-
उसके घर की रौनक का एक दिया चुराने आया हूं,
मैं उसे ब्याहने आया हूं...
उस दिया को लेकर
अपने घर का आंगन जगमगाने के लिए लाया हूँ
मैं उसे ब्याहने आया हूं...
वो है अपने घर की बेटी बड़ी
उस बेटी को अपने घर की बहू बनाने आया हूँ
मैं उसे ब्याहने आया हूं...
हैं उसके भी अरमान कुछ,
कुछ पूरे और कुछ अधूरे
आंखों में उसकी
अरमानों की चमक दिलाने लाया हूँ
मैं उसे ब्याहने आया हूं...
बेटी से अर्धांगिनी बनने का सफर
को कुछ यूं पूरा करने आया हूँ
मैं उसे ब्याहने आया हूं...-
होता है वो भी कांटो का सफर...
जब चेहरे की खुशी एक मोड पर
गुम सी जाती है ....
बिन पिता की बेटी
जब मंडप में बैठ जाती है
ढूंढती है उसकी नजर अपने ही बापू को इधर उधर
थक हार कर उसकी नज़रे आंसुओं में बदल जाती है
जब चेहरे की खुशी एक मोड पर
गुम सी जाती है ....
वो सिसकती है मगर कुछ कह न पाती है
अपने पिया में वो बापू खोजने लग जाती है
आते है कई लोग कन्या दान के लिए
मगर असल कन्यादान वाला शख्स
ओझल होता है महफिल से सदा के लिए
नज़रे झुकाए वो सोचती ही जाती है
काश होते वो यहां पर
आशीर्वाद से उनके मैं और सौभाग्य शाली बन जाती
आ जाते बस एकबार फिर इस जहान में
शादी में चार चांद लग जाते
होता है वो भी कांटो का सफर...
जब चेहरे की खुशी एक मोड पर
गुम सी जाती है ....-
हर रोज़ सांझ
अपने Profession को समेटकर
निकल पड़ता हूँ अपने शहर की गलियों में
जो मंदिरों के सकून तक पहुंचाती हैं
इस बीच मिल जाते हैं कुछ पुराने यार
जो गुफ्तगू को
गर्म बाजार से पुराने दिनों की तरफ खींच कर ले जाते हैं
मैं भी उनको नहीं रोकता
बस वक्त गुजार देता हूँ
दिन भर की थकान को उनसे बांट देता हूँ
वो भी तसल्ली कुछ पा जाते हैं
और हम साथ में फिर घर वापस आ जाया करते हैं-
मां शब्द से जीवन में बोलने की शुरुआत कराकर प्रभु महादेव के # नमः पार्वती पतियये हर हर महादेव के उदघोष से जीवन सार्थक करते हुए जीवन की अंतिम यात्रा के उदघोष श्रीराम नाम सत्य है से प्रभु महादेव से मिलन कराने वाली हमारी मातृ भाषा एवं राष्ट्रभाषा #हिन्दी को सादर प्रणिपात ।
#विश्व हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
♥️🙏😊✍️✍️✍️🧿— % &— % &-
महफूज़ रखना पड़ेगा अभी तुम्हें सबसे
तजुर्बा है कि
शाहियत पर नजर बड़ी जल्दी लगती है
तुम रूठना न इस बात बार अभी....-
घर का छोटा लड़का हूँ जनाब...
इतने तजुर्बे नहीं है...
शायद बड़ो की तरह न समझ पाऊं तुम को
मगर साथ दो अगर तुम
ये अपरिपक्वता भी पूर्ण हो जाएगी
कुछ तुम सिखाना मुझे जीने का सलीका
कभी मैं तुम्हे मुस्कुराकर मनाऊंगा
घर का छोटा लड़का हूँ जनाब...-