मुस्कुराती नज़र तुम्हारी कभी चुपके से मेरी ओर देख जाती है ।
पागल भंवरा सा हो जाता हूँ क्या करूँ तेरी ये अदाएं मुझे भा जाती है॥-
है पीड़ा बहुत अंतह कलह की मन में
सागर सी गहरी और जाल सी उलझी हुई सी ।
प्रेम की दुहाई अब ना दो बहुत सहन कर ली
रोती रही बिलखती रही उड़ती पतंग में चुभी सुई सी॥-
बेचैन मन को मेरे
कहाँ वो शांत कर सका ।
मान जाती उसकी भावनाओं को
पर मुझे वो एकांत ना कर सका॥-
प्यार करना हीं केवल कर्तव्य नहीं होता है।
साथी की आंतरिक भाव को समझना होता है॥
क्या दर्द पीड़ा है उसके अंतह कल्ह में ।
दिल में उतर कर सुलझाना और समझना होता है॥-
अवहेलना तेरी क्या करूँ जब तुम हो साथ मेरे ।
पढ़कर भी तुम्हें पढ़ ना पाए ऐसा मुझे किताब मिले॥-
मंजर ऐसा रहा
कि मुझे पता हीं ना रहा ।
मुरझाया फूल निकला
साथ काँटा भी ना रहा॥-
जानता है कि जिंदगी में दुख है फिर भी है रोता॥
मजबुरियों का नाम भी है एक जिंदगी
हर किसी के जिंदगी में रोज रोज दुख हैं पर मौत एक बार हीं है होता॥-
गम अपना हीं पीते हैं ।
बेचैनी मुझे मेरी अपनी लगे या पराई
फिर भी उसे अपना हीं कहते हैं॥-
हर रंगों में इश्क़ है तुम्हारे संगों में इश्क़ है ।
इश्क़ हर रुबाई में है तेरे उमंगों में इश्क़ है॥
नज़्म सी तू लय लिए नयनों का अभिराम ।
इश्क़ इबादत प्रेम का मजहब लिए तू किताब॥
भाषा दिल की समझ रही हो चमक रही हो ।
हो प्रेम की बाक़ी अलिंगन व दमक रही हो॥
चाँद का टुकड़ा हो इश्क़ का मेरुदंड़ हो ।
ज़रा प्यार बनाए रखना बहुत तुम उदंड़ हो॥
नज़र ना लगे ऐसे रंगों की ओट कर लेना ।
प्यार के रंग में रंग जाओगी नोट कर लेना॥
अनजान राहों पे चल रहे हैं तुम तक जाने को ।
चाहे रंग कोई भी हो रंग जाएंगे तुम्हें पाने को॥-