टूटेंगे तो चुभेंगे तुम्हें भी....
महबूब नहीं...पत्थर हैं हम....-
पत्थर दिल वालो की भी एक कहानी होगी....
जहा बारिशे कम और धूप ज्यादे दिवानी होगी....
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दर्दो के दिसंबर में....
दिलो का बदलाव हो गया...
वो मेरा, और मैं उसका अलाव हो गया....-
सर्द की हवाओ में दर्द जरा कम भेजना...
मैं नहीं चाहता मेरा सुकून कपकपाने लगे....
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उडते हुए झूल्फो को उसने सम्भाला नहीं...
बच गया मेरा दिल...
जो निगाहो से उसने मारा नहीं...-
बरसते हुए बादलो के बहार में होगी वो...
खिड़की खोले सायद मेरे इंतजार में होगी वो...
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चलो आज एक झूठा किस्सा बनाते हैं...
उस किस्से में....अपना दिल पत्थर बनाते हैं...
कोई तोड़े उस पत्थर को...उसपे भी मरहम लगाते हैं..
चलो आज एक झूठा किस्सा बनाते हैं...
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मौसम की गर्माहट में...हवाओ का आना जाना हैं...
गम के सन्नाटो में...इस चाँद का मुसकुराना हैं...
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झाँकता हूँ...अंधेरो में दूर तलक...
उजालो के..हकीकत से डर लगता हैं...-
मेरे हर गुनो को जाँचती...
क्यो मुझे कम आँकती...
मेरे शब्दों में हो झाँकती...
क्यो मेरे दिल को भाँपती...
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