Vishwajeet Kale   (Vishwa)
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Joined 30 October 2018


Joined 30 October 2018
8 JUL 2022 AT 21:57

लाल इश्क़ से ज़्यादा मुश्किल होता हैं सफ़ेद इश्क़ करना...
दुनिया के रंगों से बचकर, अपनी मोहब्बत को
बेदाग रखना ।
सफेद इश्क़, जो मुझे तुमसे हैं...
सफेद इश्क़, जो मुझे अब ख़ुद से हैं।

#Unknown

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1 JUL 2022 AT 23:07

The enemy of the "Best" is often the "Good".


#Unknown

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26 JAN 2022 AT 20:15

Doing well with money has a little to do with how "smart" you are and a lot to do with how you "behave". And behavior is hard to teach, even to really smart people.

#thepsychologyofmoney

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15 JAN 2022 AT 13:36

तू मेरा नाम न पूछा कर,
मैं तेरे ज़ात का हिस्सा हूँ ।
मैं तेरी सोच में शामिल हूँ,
मैं तेरी नींद का किस्सा हूँ ।
मैं तेरे ख़्वाब का हासिल हूँ,
मैं तेरी याद का मेहबर हूँ ।

#Unknown

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7 JAN 2022 AT 14:47

सगळं कसं ऑनलाईन झालंय...
शिक्षण, नोकरी, नाते, मित्र...
स्क्रीन टाइम वाढतो आहे दिवसेंदिवस...
दिवसभरात आसपासही सहसा मी बघत नाही...
कुणी भेटलं तर फार काही बोलत नाही...
हात कुणाचा खांद्यावर नसतोच आजकाल...
मीही कुणाला उगाच अलिंगण देतं नाही...
शेवटंच खळखळून कधी हसलो होतो?
धायमोकलून शेवटंच कधी रडलो होतो???
काहीच काही कसं आठवतं नाही...
इमोजींचा इतका अतिरेक करणं बरं नाही...
इतकं सगळं मनात साठवून जगणं मात्र खरं नाही...
प्रत्येक गोष्टीला स्टेटस, रिल्स, स्टोरी करतोय...
अस्सल जगण्याच्या अनुभवाची पाटी कोरी ठेवून...
माणूस खरंच किती आभासी होतोय!!!

✍️ करणकुमार पोले

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19 NOV 2021 AT 14:13

मुस्कुराहटें वो चेहरे पे वो लफ़्ज़ों की कमी
ना जाने कैसी मोहब्बत तू दिल से है जुड़ी
यह ख्वाबों की लकीरें जो दिल को एक करे ।

तेरे अश्कों की क़तारों में यह दिल मेरा रुका
चंद रातों मैं खुदा यह दिल तेरे बिन ना लगा
यह दिल की दबी सभी यह बातें कैसे कहूँ ।

कैसे कहूँ, क्या करूँ ?
कैसे कहूँ, क्या करूँ ?

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20 OCT 2021 AT 20:41

यही अपनी कहानी थी, मियाँ पहले बहुत पहले,
वह लड़की जाँ हमारी थी, मियाँ पहले बहुत पहले ।

रक़ीब आकर बताते हैं यहाँ तिल है, वहाँ तिल है,
हमें ये जानकारी थी मियाँ पहले, बहुत पहले ।

#Unknown

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23 SEP 2021 AT 22:34

"प्रिय" !
लिखकर....नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा,
कुछ जगह बीच में छोड़,
नीचे लिख दूँ "सदा" तुम्हारा !!
लिखा बीच में क्या ? ये तुमको पढ़ना हैं!
कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना हैं !
जो भी अर्थ निकालोगी तुम वो मुझको स्वीकार,
झुके नैन....मौन अधर....या कोरा कागज़,
अर्थ सभी का प्यार ❤️

#Unknown

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22 SEP 2021 AT 21:55

घुटन से होने लगी उसके पास जाते हुए,
मैं खुद से रूठ गया हुँ उसे मनाते हुए ।

#Unknown

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30 AUG 2021 AT 14:37

बंसी सब सुर त्यागे है, एक ही सुर में बाजे है ।
हाल न पूछो मोहन का, सब कुछ राधे-राधे है ।

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