खुद के कई टुकड़े कर कुछ एक पाने का विश्वास है
लकीरों से नहीं खुद से किस्मत बदलने की आस है
कौन कहता है कि सपने पूरे नहीं होते?
जो पूरा करें उसका नाम प्रयास है-
किस प्यार की बात करते हो गालिब जिसमें वफा ही नहीं है
रूठे दिल को मनाना वह तो खफा ही सही है
भूल जाओ उसको अब बचा ही क्या है
किस मर्ज की बात कर रहे हो फ़राज़ जिसकी दवा ही नहीं है-
जो मंजिलें कभी ख्वाब थी, अब खाक हो गई है
जो इश्क के दीए जलते थे समां में, अब राख हो गई है
खैर छोड़ो क्या ही शिकायत करूं तुमसे,
तुम थे कभी मेरे, ये तो पुरानी बात हो गई है ।
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बेखबर हूं बेसबर, बातें भी है बेअसर
खामोश आंखें कह रही हैं, क्या दुनिया है ये बेनजर?
दावत - ए - इश्क की, मिलेगी जब भी खबर
शामिल होना आप भी, जगह होगी ये कबर-
लोग पूछे मुझे तुझे क्या चाहिए?
इंसानियत हो जिसमें वह इंसान चाहिए!
जो ख्वाहिश से मिटा दे वह भगवान चाहिए!
चलती गिरती जिंदगी से आराम चाहिए!
मुझे सोने के लिए शमशान चाहिए!-
चलते-चलते चल पड़ा मैं ऐसी एक राह पे
मिल गई थी मंजिल और बढ़ गई थी चाहते.....-
कर लो वफा की उम्मीद बिना पैसे की इस दुनिया में गालिब!
देखते हैं सांसे भी कितना साथ देती है...-
लड़की और सच्ची मोहब्बत?
जनाब किस नए रिश्ते की बात कर रहे हैं आप?-