अब तो दिन भी सदी सा लगने लगा है
आ जाओ जल्दी अब कर लो मिलन-
Professional Details- Project Manager In IT Industry
DOB... read more
एक याद है
एक याद है जिसके सहारे जी रहा हूँ मैं
आये जो आँख में आँसू उसे भी पी रहा हूँ मैं
जख्म है गहरे बड़े यार तेरी जुदाई के
कोई देखे नही उसे उसीको सी रहा हूँ मैं
सुकूँ की खोज में क्या क्या ना किया मैंने
तेरे कपड़े थे मेरे घर में उसे भी पहना मैंने
तेरी तस्वीर से बात करके भी दिल भरा नही
तेरी सहेली से भी यार बात कर लिया मैंने
हाल पूछा जो उससे तो उसने बोला मुझे
कब की भूली हुई कहानी बताया है मुझे
दीवाना बनके तेरा तबसे यूँही जी रहा हूँ मैं
जीकर भी यार जैसे हरपल मर रहा हूँ मैं
एक याद है जिसके सहारे जी रहा हूँ मैं
आये जो आँख में आँसू उसे भी पी रहा हूँ मैं
जख्म है गहरे बड़े यार तेरी जुदाई के
कोई देखे नही उसे उसीको सी रहा हूँ मैं-
आ गया हूँ द्वार तेरे
अब संभालो कष्ट मेरे
मेरा क्या है मुझमे क्या है
तुम ही जानो मुझमे क्या है
मैं तो ठहरा दास तेरे
तुमसे ही है अब आस मेरे
शिव मेरे तुझको मैं अर्पण
जो दिया तुझको ही अर्पण
तू ही कर्ता तू ही धर्ता ॐ नमः शिवाय🙏
कष्टों के हे कष्टहरता
मेरी भी बिगड़ी बनाना
मुझको तुम विजयी बनाना
आ गया हूँ द्वार तेरे
अब संभालो कष्ट मेरे-
मैं रुक तो गया हूँ मगर फिर चलूँगा जरूर
मैं वापस उसी राहों में फिर मिलूँगा जरूर
वक़्त को भी दिया है वक़्त खेलने का मैंने
गिरा हूँ मैं तो उठ खड़ा फिर दौडूंगा जरूर
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ससुराल में आया तो जाना
बीवी इतनी क्यूँ प्यारी लगती है।
सास ससुर और साले साहब जी
इनसे रिश्ते क्यूँ गहरी हो जाती है।
फिर इक रात भी ऐसी आती है
मम्मी जी दूध ग्लास में भेजती है।
ससुराल का सुख ये सौभाग्य है
जो सबको नही मिल पाती है ।
ससुराल में आया तो जाना
बीवी इतनी क्यूँ प्यारी लगती है।-
ओ मेरे माधव
तुम्हे हाथों से सजाऊँ मैं।
तुम्हे रोज ही नहलाऊं मैं।
मोतियों की माला माधव रोज पहनाऊँ मैं।
ओ मेरे माधव ओ मेरे माधव ।।
तेरी भोली सी सूरत पर माधव इतराऊँ मैं।
सुबह शाम तेरे पूजा का थाल सजाऊँ मैं।
चारो जग में माधव तेरे गुण को फैलाऊँ मैं।
ओ मेरे माधव ओ मेरे माधव।।
मीरा की भक्ति से भी बढ़कर भक्ति दिखाऊँ मैं।
अपने दिल और दिमाग मे तुमको बसाऊँ मैं।
भूलकर मैं जग सारे तुझमे खो जाउँ मैं।
ओ मेरे माधव ओ मेरे माधव।।-
वो कान्हा है जिसे कमली कहलाने से परहेज नही
श्री राधा के वस्त्र को जिसे पहनने से परहेज नही
नजर ना लगे कृष्ण मुरारी को था इसका एक उपाय
वस्त्र पुराने श्री राधा के गर जो कान्हा को दे पहनाय
गयी माँगने यशोदा, कीर्ति से लाली के फिर वस्त्र पुराने
कीर्ति सोचे वस्त्र पुराने दें कैसे श्री जगदीश को पहनाने
श्री राधे सुनकर बोली मैं तो दे दूँ अपने प्राण भी मैया
वस्त्रों की फिर बात ही क्या दे दो जो पहने मेरे कन्हैया
...................आगे अगले भाग में........................
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एक सवाल जो माँ देवकी पूछी अपने कान्हा से
होकर भी देव तुम लल्ला चौदह वरस लगाया क्यूँ
कान्हा बोले मैया मोरी, याद करो तुम पिछले जन्म को
मात कैकयी थी तुम मैया, चौदह वरस बनवास दिलाया क्यूँ
माता कौशल्या के ऋण थे , मुझपर पिछले जन्म का
चुका रहा था ऋण मैं मैया माता यशोदा के संग रहकर मैं
कर्म का लेखा सब कोई भोगे मैया क्या देव क्या इंसान
अब तो समझी ना मेरी मैया मैनें इतना वक़्त लगाया क्यूँ
मुक्तक-
माँ
घुटनों से रेंगते रेंगते
जाने कब पैरों पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छांव में माँ
जाने कब मैं बड़ा हुआ
काला टिका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है
मैं ही मैं रहूँ हर जगह
माँ, प्यार तेरा ये कैसा है
सीधा साधा भोला भाला
मैं ही सबसे अच्छा हूँ
कितना भी हो जाऊं बडा मैं
माँ, आज भी मैं तेरे लिये बच्चा हूँ-
कन्हैया बन के आ जाओ की
कृष्ण में वो बात कहां माधव
चंचल मन था जो कन्हैया का
कृष्ण में वो बात कहाँ राघव
माँ का था लाडला वो कान्हा
ब्रज का था मतवाला वो कान्हा
छोड़ बचपन को सखी औ सखा को
जब से राजा कृष्ण तुम बने कान्हा
ना मधुर वो बंसी फिर कभी बाजी
ना गायें, गोपियाँ फिर कभी नाची
आओ बनके कन्हैया फिर आ जाओ
की कृष्ण में वो बात कहाँ राघव
नटखट पन था जो कन्हैया में
कृष्ण में वो बात कहाँ राघव-