जो इंसान झूठ
बोलने की कला जनता है
वो जिंदगी भर गैरों को
खुश रख सकता है,
लेकिन अपनों को नहीं-
तजुर्बे की उम्र में ख़्वाहिशों का मारा हूँ ,
ऐ यार कीमत से नहीं किस्मत से हारा हूँ।
जो इंसान झूठ
बोलने की कला जनता है
वो जिंदगी भर गैरों को
खुश रख सकता है,
लेकिन अपनों को नहीं-
हमे नज़रअंदाज़ करने वालो सुन लो
हम ख़ुद अपने आधे खानदान से बात नहीं करते-
कभी-कभी हम सही होते हुए भी,
माफ़ी इसलिए मांगते हैं ताकि रिश्ता बचा रहे…-
गुस्सा करना भूल गए हो..
हंसना भूल गए हो..
किसी से मजाक करना भूल गए हो तो
तुम move on नही,,खत्म हो रहे हो..-
जब खुद को,
सबसे दूर किया तो पता चला,
किसी के लिए भी,
खास नहीं थे हम।-
मुझे लौटना है वापस मेरे उसी दौर में ,
जहाँ मेरा दूर-दूर तक तुमसे कोई वास्ता ना था...!!-
सब कुछ नहीं मिला
सब में से कुछ घटा कर मिला
उसी को बहुत कुछ कहा
जो मिला वो बहुत था
जो नहीं मिला वो सब कुछ था ।।
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तेरा घमंड एक दिन तुझे ही हराएगा,
मैं क्या हूं, यह तो तुझे वक्त ही बताएगा-