विश्वजीत पिप्पल   (@जीत)
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तजुर्बे की उम्र में ख़्वाहिशों का मारा हूँ ,
ऐ यार कीमत से नहीं किस्मत से हारा हूँ।
Joined 31 October 2018


तजुर्बे की उम्र में ख़्वाहिशों का मारा हूँ ,
ऐ यार कीमत से नहीं किस्मत से हारा हूँ।
Joined 31 October 2018

जो इंसान झूठ
बोलने की कला जनता है
वो जिंदगी भर गैरों को
खुश रख सकता है,
लेकिन अपनों को नहीं

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सब कुछ समझकर भी चुप रहना,,
कभी-कभी सबसे बड़ी मजबूरी होती है…

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हमे नज़रअंदाज़ करने वालो सुन लो
हम ख़ुद अपने आधे खानदान से बात नहीं करते

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कभी-कभी हम सही होते हुए भी,
माफ़ी इसलिए मांगते हैं ताकि रिश्ता बचा रहे…

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गुस्सा करना भूल गए हो..
हंसना भूल गए हो..
किसी से मजाक करना भूल गए हो तो

तुम move on नही,,खत्म हो रहे हो..

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✍ हैरान नहीं हूं बस देख रहा हूं,
कितने गिरे मुझे गिराने में !

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जब खुद को,
सबसे दूर किया तो पता चला,
किसी के लिए भी,
खास नहीं थे हम।

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मुझे लौटना है वापस मेरे उसी दौर में ,
जहाँ मेरा दूर-दूर तक तुमसे कोई वास्ता ना था...!!

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सब कुछ नहीं मिला

सब में से कुछ घटा कर मिला
उसी को बहुत कुछ कहा

जो मिला वो बहुत था
जो नहीं मिला वो सब कुछ था ।।

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तेरा घमंड एक दिन तुझे ही हराएगा,
मैं क्या हूं, यह तो तुझे वक्त ही बताएगा

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