Vishva Prakash Mehra   (सत्यार्थ वाणी)
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दिल ए दास्तां शब्दों की कलम से.....contact number 9411846573
Joined 26 April 2018


दिल ए दास्तां शब्दों की कलम से.....contact number 9411846573
Joined 26 April 2018
30 APR AT 9:54

जीवन मे कभी ना टूटे
हो प्यार सम्मान इतना
रिश्ते हमारे प्यारे ना छूटें
ना लगे नजर किसी दुश्मन की
खुशियाँ ना कोई अपनी लूटे

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30 APR AT 9:09

लड़नी पड़ती है खुद से जंग
कोई नहीं निभाता साथ संग
लोग केवल देखने आते हैं तमाशा
देते हैं केवल कोरी झूठी दिलासा
खुद ही खुद का मुकद्दर बनाना है
लड़ना भी तो जीने का एक बहाना है

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30 APR AT 8:37

दिल चहक जायगा
ना आना नजदीक ज्यादा
मन बहक जायेगा

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29 APR AT 6:28

कर्म कर बन्दे सोच समझ कर
खुदा पर हर किसी का खाता है
कौन है अपना कौन पराया जग मे
सब्र रख थोड़ा सब वक़्त बताता है

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16 APR AT 13:27

आज भी मुझे याद आती हैं
शरारते उसकी मुझको अक्सर
रह रह कर बस यूँ तड़पाती हैं
उसका वो मासूम सा चेहरा
तवस्सुम का जिस पर रहता पहरा
जिंदगी से ज्यादा अपनी वो मुझको प्यारा
इन अँखियो की तलाश वो आँखों का तारा

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16 APR AT 13:23

और दे गई तन्हाई
दूर बहुत था सवेरा
अंधेरा था बस घनेरा
एक अजनबी आया
इस बेबस हालात मे
रख तवस्सुम होठो पर
दिया लिए था हाथ मे
हौसला मिल गया जीने का
जब से आया वो साथ मे
अब जिंदगी का नया सवेरा है
मै उसका और वो अब मेरा है

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16 APR AT 13:15

आँखों मे कुछ सपने लिए
दर्द ए गम पीकर भी सनम
लब ए तवस्सुम रख कर जिए
नहीं मिला रौशनी का जरिया जब
खुद ही जले हम बन कर दिये

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16 APR AT 13:11

को ना मानो कमजोरी
गलती हुई तो कैसी शर्म
बोल दो प्यार से सॉरी
लिख लो कुछ पुण्य कर्म
किताब पड़ी है कोरी

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16 APR AT 13:06

जिंदगी मे आई नई उमंग
चले दोनों जब हम संग
जिंदगी को मिल गया नया तराना
जीने का मिल गया एक और बहाना
तेरे दुख दर्द से अपना नाता जोड़ा है
हर बंधन आज मैंने खुद ही तोड़ा है
तेरे साथ ए सनम हर लम्हा गुजारेंगे
तेरे सिवा ना अब किसी को पुकारेंगे

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16 APR AT 12:58

इंतजार तेरा मुझको साकी है
चैन से नहीं अभी सोना है
दर्द ए गम का हिसाब होना है
तुमने खेल ली अपनी बाजी
यादें अभी पुरानी हैं ताजी
जख्म तुमको भी मिलेगा लाइलाज
खुल जायेंगे तेरे छुपाये सारे राज

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