लड़नी पड़ती है खुद से जंग कोई नहीं निभाता साथ संग लोग केवल देखने आते हैं तमाशा देते हैं केवल कोरी झूठी दिलासा खुद ही खुद का मुकद्दर बनाना है लड़ना भी तो जीने का एक बहाना है
आज भी मुझे याद आती हैं शरारते उसकी मुझको अक्सर रह रह कर बस यूँ तड़पाती हैं उसका वो मासूम सा चेहरा तवस्सुम का जिस पर रहता पहरा जिंदगी से ज्यादा अपनी वो मुझको प्यारा इन अँखियो की तलाश वो आँखों का तारा
और दे गई तन्हाई दूर बहुत था सवेरा अंधेरा था बस घनेरा एक अजनबी आया इस बेबस हालात मे रख तवस्सुम होठो पर दिया लिए था हाथ मे हौसला मिल गया जीने का जब से आया वो साथ मे अब जिंदगी का नया सवेरा है मै उसका और वो अब मेरा है
जिंदगी मे आई नई उमंग चले दोनों जब हम संग जिंदगी को मिल गया नया तराना जीने का मिल गया एक और बहाना तेरे दुख दर्द से अपना नाता जोड़ा है हर बंधन आज मैंने खुद ही तोड़ा है तेरे साथ ए सनम हर लम्हा गुजारेंगे तेरे सिवा ना अब किसी को पुकारेंगे
इंतजार तेरा मुझको साकी है चैन से नहीं अभी सोना है दर्द ए गम का हिसाब होना है तुमने खेल ली अपनी बाजी यादें अभी पुरानी हैं ताजी जख्म तुमको भी मिलेगा लाइलाज खुल जायेंगे तेरे छुपाये सारे राज