"आज अचानक ही"
कल तक जो मेरे अपने थे ,
आज अचानक ही अजनबी यार हो गए ।
उनसे हर रोज़ होती थी तमाम दुनिया की बातें ,
आज अचानक ही अपनी दुनिया में खो गए ।
ताउम्र साथ चलने की बातें करते थे जो ,
आज अचानक ही कहीं अनजान रास्तों पर खो गए ।
उनसे ही चलता था रूठना-मनाना, समझना-समझाना ,
आज अचानक ही वो नादान हो गए ।
बहुत ही कमाल की यारी थी अपनी ,
आज वो यार भी अचानक से कहीं गुमनाम हो गए ।
बिन सोचे, बिन समझे, बिन मतललब ही बातें किया करते थे ,
आज अचानक ही वो मतलबी सा यार हो गए ।
बिन कुछ बोले ही चेहरे को पढ़ लेते थे जो ,
आज अचानक ही रद्दी किताब हो गए ।
खुद से ज़्यादा दूसरो की परवाह करते थे जो ,
आज अचानक ही बेपरवाह हो गए ।
कल तक जो मेरे अपने थे,
आज अचानक ही अजनबी यार हो गए।
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