सबने पूछा:
विष्णु! आखि़र हुआ क्या तुम दोनों के बीच
हमने बस होठों को मुस्कुराने पर
मजबूर करते हुए कहा:
कि वो दबे पांव मेरे बहुत करीब आकर
जहन में मेरे पूरी तरह उतरकर
बस तसल्ली से ये समझा गई
कि दूर कैसे जाते है-
मुझे कोई नहीं समझता अगर तुम ना होते
होकर पास भी तुम पास ना थे
बेहतर यही होता कि तुम ना होते
जाना है मैंने बहुत कुछ तुम्हें खोकर
खोया हैं मैने बहुत कुछ तुम्हें पाकर
किसी ने मित्रता खोई है
किसी ने लेखन कला खोई है
पर जाना हमने अपनी पात्रता खोई है
अब जाना तुम्हे खोकर
विष्णु को रहना है बस अब संभलकर-
वो मुझसे कहती थी
आपके अलावा कोई और अगर छुएगा
तो मैं मर जाऊंगी
अब देखो कोई छू भी रहा है
वो तस्वीर भी भेज रही है
और वो मर भी नहीं रही-
तेरे वादों की खुशबू में बसी थी मेरी चाहत,
पर तूने तो तोड़ी हर एक आस, हर एक राहत।
दिल की गहराइयों में छुपा था तेरा नाम,
अब तो बस यादें हैं, और वो टूटता है अरमान।
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हम भी यहां से इक रोज चले जायेंगे
पर कुछ नहीं बहुत कुछ मिट्टी को सौंप जायेंगे-
फ़र्क था यार फर्क था
हम दोनों की मोहब्बत में
"मुझे उससे ही थी"
"उसे मुझसे भी थी"
और इश्क में इस क़दर हम उनके गुलाम हुए
पहले आप फिर तुम फिर तू
और तू से बदनाम हुए
बदनाम होकर हमने जाना यार
अरे!हम तो अब अनजान हुए-
टूट गई अब खुशियों की छांवनी मेरी
दर्द छांटता तो किससे छांटता
कोई नहीं था मुझे गले लगाने वाला
गम बांटता तो किससे बांटता-
🌹 day
वो भी कहां तक किसी को रोजाना 🌹 दे
कल कोई और
आज हम
और फिर कल कोई और
फिर आज से हम कल
और कल से कोई आज
और कल से फिर कल
वो भी...
बस पन्ना भीग गया था🥀
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मालूम होता बारे तुम्हारे
तो इतना इश्क़ नहीं करते
खैर हम जिस्म के शौकीन है
तुमको कैसे समझते
तुम सोच भी सकते हो
की हालत क्या हुई है
और आंखें छोड़ो
मेरी तो रूह तक रोई है
अब एहसास हो गया ना जाना
तो अब सिर्फ़ दिल से ही किसी को पास बुलाना
यूं मेरी तरह इश्क़ से दिल मत लगाना
और दिल लगाओ तो रूह मत लगाना
मालूम होता....
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सिर्फ़ किरदार ही साबित हुए
उन्हें बताना था सब सच
हमे झूठ पता लगने से पहले
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