ये मुफलिसी, मासूमियत और तेरी लाचारगी,
भूखा पेट,बचपना, थे आँखों में सवालात कई!✍️
विष्णु द्विवेदी 🙏🏻🙏🏻-
हमारी शकशियत को ऐसे कैसे कोई भूल पायेगा हुज़ूर....
रिश्तों को आखिरी सांस तक बड़ी शिद्दत से निभाते है हम..😊
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तुम नहीं जानते... (विष्णु द्विवेदी)
देशभक्ति एवं करुणाभाव से भरी मेरी मौलिक रचना...
नीचे अवश्य पढ़िए!-
कोई किसी का साथ यदि उम्र भर चाहे भी... फिर भी नही दे सकता, प्यारे साथियों!
उम्र के तराजू में बैठा इंसान, समय रुपी बांट साथ लिए इस धरातल रुपी संसार में आता है। एक पलड़े में खुद उम्र साथ लिए बैठा है,दूजे पलड़े में परिवार रुपी साथी है। जो घटते एवं बढ़ते रहते है । समय के साथ बांट निरंतर कम होते रहते हैं और हमारी उम्र भी।
फिर अंततः प्राण रूपी डोर टूट जाया करती है। और यह जीवन रूपी प्रक्रम शांत हो जाता है।🙏🏻🙏
#जय_श्री_सीताराम🙏🙏
#एक_मानवीय_विचार✍️-
असफलता रुपी तिमिर से जीवन में अंधियारा न होने दें,
चंद्र एवं प्रभाकर प्रमाण है, प्रत्येक ग्रहण के उपरांत नूतन दिवस (अवसर) अवश्य आता है!!
साभार!-
रघुवंश के रघुवर तुम हो , सूर्यवंश के कुलदीपक हो
शान अयोध्या की प्रभु तुमसे , सौमित्र के प्राण तुम्ही हो
रामभगत गहे पादुका तुम्हारी , भ्रातत्व का भाव तुम्ही हो
मनुजों में हो श्रेष्ठ प्रभु तुम , मर्यादा का मान तुम्ही हो,
तप में तुम सम कोऊ न तपस्वी , सकल गुणों की खान तुम्ही हो
योगी शिव तुमको ही ध्यावें , योगियों का भी योग तुम्ही हो,
सदा रहे सारंग हाथ में , संघारक हो सौम्य तुम्ही हो।
राम नवमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🚩-
#गरीबी और जिन्दगी
सारे वज़न उठाकर देख लिए,
दाल - रोटी ही सबसे भारी है...
मज़बूर हूँ साहेब मगरूर नही हूँ
घुटने टेके नही मैंने नामाकूल नही हूँ...!!🙏🙏😢-
तोड़ दो कसमें सभी जंग ए मुरादों की,
लाचार-भूखे बच्चे,बहता लहू, सब याद आता है
अरे...
होगी उनकी जंग जायज़,फिर भी क्या सोचा किसी ने?
तड़प उठा है आज बचपन, गोलियों की गूंज से।
#Stop_War-
इक रोज़ उसने कहा कि यूं चुप क्यो हो
बोलते क्यों नही हो कुछ
मैंने कहा -
"अगाद प्रेम" में ' शब्द' नही ' भाव' देखे जाते हैं।-
दर्पण की दरारों को यूं न घूरिये साहेब,
बुलंदी पर सितारे हो तो अमंगल नही होते!— % &-