Vishesh Rajput   (Vishu)
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Joined 5 October 2019


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21 JUN 2022 AT 19:38

तुझे फ़ुर्सत से बख्शा है हुनर उसने
वगरना ख़ूबसूरत तो हजारों हैं

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6 APR 2022 AT 1:03

बता कैसे लुभाएं हम दरख़्तों को
हवा से दुश्मनी है सूखे पत्तो की !

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31 MAR 2022 AT 23:54

तुझे मालूम ही क्या है हमे क्या क्या रुलाता है
कभी ये दिल रुलाता है कभी शीशा रुलाता है

तुझे क्या गम नही होता है मेरे हार जाने पर
मुझे इस बात पे तेरा नही कहना रुलाता है

बहुत मायूस करती है मुझे हर रोज तन्हाई
सबा के पर्दे छूते ही जला कमरा रुलाता है

हसीं मंजर भी दीवारों में जलकर खाक होता है
तेरे लहजे से ज्यादा अब तेरा बोसा रुलाता है

जरा आदत बना बैठे है हम हर बात पे रोना
वागरना पत्थरों को कौनसा झटका रुलाता है

- Vishu ❤️

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7 SEP 2021 AT 14:55


वो हमेशा ही रहेगा दिल में बस,
दूरियां आती रहेंगी जाने को !

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7 AUG 2021 AT 22:39

आईने से जब हटाई धूल तो चेहरा साफ नजर आने लगा,
वरना लग रहा था खड़ा है एक अजीब सा शख्स सामने !

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6 AUG 2021 AT 22:50

रोने के बाद अशको के बने दाग को मिटाना होता है,
उसके खतो को पढ़ने के बाद फिर जलाना होता है,
और जब पूछे कोई हाल दूर से तो हाल नही सुनाते,
छिपाकर सब बस ठीक हूं कहकर मुस्कुराना होता है!

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26 JUL 2021 AT 9:39

क्यों तेरा ये दर्द मुझे अब भी खाए जा रहा है,
तू इतना दूर होके कैसे ये रिश्ता निभा रहा है,
और मैं ठीक हूं तेरे बगैर भी ये सच ही तो है,
बस ये आंखें खराब है इनसे पानी आ रहा है!

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22 JUL 2021 AT 13:53

नामुनकिन है अब तेरा किसीका हो जाना,
बची है अब तेरे हिस्से में तनहाइयां फकत!

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13 JUL 2021 AT 15:20

दिल लगाया था सुनो यार मैंने उससे कुछ इस तरह से,
के फिर चाहकर भी ना गया उसका ये नाम जुबान से,
और लगता है आज तो वो भी मुझको याद कर रहा है,
देखो ना आरही है मुझको हिचकियां बेहिसाब सुबह से।

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6 JUL 2021 AT 21:06

जितना हो सकते थे यार हम उससे ज्यादा जुदा हो चुके है,
और इससे ज्यादा भी अब हम क्या भुलाए तुमको,
अरे लोग रखते है संभाल कर जिसे प्यार से बड़े,
हम तो तुम्हारी दी वो आखरी निशानी भी कबकि खो चुके है !

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