उस ने दूर रहने का मशवरा भी लिखा है
साथ ही मुहब्बत का वास्ता भी लिखा है
उस ने ये भी लिखा है मेरे घर नहीं आना
साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में रास्ता भी लिखा है
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ये सोचना ग़लत है कि तुम पर "नज़र" नहीं
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर "बे-ख़बर" नहीं!
अब तो ख़ुद अपने ख़ून ने भी साफ़ कह दिया..
मैं आप का रहूँगा मगर 'उम्र'भर नहीं...-
तड़प के देख किसी की चाहत में,
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है,
यूँ मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के,
तो कैसे पता चले कि प्यार क्या होता है?-
कायर है जो आँखों में डर रखता है,
शायर है जो दिल में दर्द रखता है।
दर्द आँखों से निकले तो कायर है,
दर्द अल्फाज़ में ढले तो शायर है।-
नफरत की दुनिया में कौन किसका होता है
धोखा वही देता है जिस पर भरोसा होता है !!-
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
शहर का शहर मुझे रख़्त-ए-सफ़र लगता है
रात को घर से निकलते हुए डर लगता है
चाँद दीवार पे रक्खा हुआ सर लगता है
हम को दिल ने नहीं हालात ने नज़दीक किया
धूप में दूर से हर शख़्स शजर लगता है
जिस पे चलते हुए सोचा था कि लौट आऊँगा
अब वो रस्ता भी मुझे शहर-बदर लगता है
मुझ से तो दिल भी मोहब्बत में नहीं ख़र्च हुआ
तुम तो कहते थे कि इस काम में घर लगता है
वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा
ओढ़ लेता हूँ तो सब ख़्वाब हुनर लगता है
इस ज़माने में तो इतना भी ग़नीमत है मियाँ
कोई बाहर से भी दरवेश अगर लगता है
अपने शजरे कि वो तस्दीक़ कराए जा कर
जिस को ज़ंजीर पहनते हुए डर लगता है
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई "विशेष "
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है-
जब हासिल हो जाए तो सब खाक बराबर है ..
इश्क भी, जिस्म भी, हुस्न भी, वादे भी, महबूब भी....-
रूह से जुड़ी मोहब्बत का मज़ा ही कुछ और था......
अब तो जिस्मों के साये हैं, आज अपने तो कल पराये हैं....-
मौत का खौफ उन्हें दिखाओ, जो जिन्दगी से प्यार करते है,
हम ऐसे नवाब है जो हमेशा, मौत का इंतजार करते है...-
इश्क़ में बस ये हाल होता है
सिर्फ़ उनका ख़याल होता है
क्या करूँ ए ख़ुदा!बता मुझको
हर समय क्यूँ मलाल होता है
जो पराया कहूँ तो होंगे खफ़ा
अपना कह दूँ बवाल होता है
कोई कैसे ज़वाब दे , उनका
टेढ़ा - मेढ़ा सवाल होता है
जो फँसे तो निकल नहीं सकते
इश्क़ ऐसा ही जाल होता है-