बताता हूँ क्या हो तुम
मेरी हो या ना हो तुम
कोई महकता सा गुलाब हो तुम
किसी शायर का ख्वाब हो तुम
सर्द की दोपहरी की वो धूप हो तुम
जिस पर नज़र ढहरें वो रूप हो तुम
किसी सफ़र का दिलकश सुकून हो तुम
उस चाँद को पाने जैसा जूनून हो तुम
मेरी बर्बादी का आगाज़ हो तुम
जितनी कल थी उतनी ही आज हो तुम
मेरी एकलौती हार हो तुम
मेरा एक-तरफ़ा प्यार हो तुम...
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