मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं
तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं !!-
उसे बनाकर ग़ज़ल में सुबह शाम लिखता रहा,
हकीकत की हर घड़ी में उसे सलाम लिखता रहा...
वह मेरी मोहब्बत को मेरा जुनून समझ बैठा,
मैं नाम ए मोहब्बत को बार-बार लिखता रहा...
कर लो इकरार ए दिल्लगी मुझसे, यह कहा उससे मैंने,
अजीब शख्स था मुझे ही बेवफा लिखता रहा...
उसकी आरजू यह थी कि भूल जाओ मुझे,
मैं हर दीवार पर इश्क़ की इंतिहा लिखता रहा...
वह मिटाता रहा दीवार पर लिखे मेरे सारे हुरूप,
मैं अपने दिल पर उसका नाम लिखता रहा...!!!-
कोई तो राह होगी , तुम तक जो पहुँचती होगी
कोई तो मंजिल होगी,छूने को जो तरसती होगी..
कोई तो हसरत दिल की,मिलने को संवरती होगी
कोई तो खामोशी साज बन तन्हाइयों में खनकती होगी..
कभी तो बातों में जिक्र, मेरा भी आता होगा
होगी कोई तो बात जो खुशबू बन सांसो में महकती होगी..।।-
सिखाएंगे हमको प्यार का मतलब,
जो जानता ही नहीं है ऐतबार का मतलब
आपका कोई प्यारा गया नहीं आपको छोड़कर,
छोड़िये, आप नहीं समझेंगे इंतज़ार का मतलब...।।-
सुना है हर बात का जवाब रखती हो तुम,
क्या तरसती आँखों का भी इलाज रखती हो तुम।।-
एक मैं हूँ खुद को ना समझ पाया आज तक,
एक दुनिया है न जाने क्या क्या समझ गई।-
करार देकर तुझको थोड़ा बेकरार भी करेंगे,
टूटे हुए है मगर टूटकर तुझे प्यार भी करेंगे..
तेरी बाहों में सिमटकर यूँ पिघल जाएंगे हम,
जलाकर जिस्म, तेरा फिर उपचार भी करेंगे!..-
मनाऊं दिल को मैं कैसे खुदा या खैर हो जाए
बहुत तकलीफ होती है जब अपना गैर हो जाए...-