Vishal Vishu Soni  
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शब्दो में क्या बयां करु खुद को
पढ़ लो अल्फ़ाज़ मेरे समझ जाओ मुझे
Joined 12 June 2018


शब्दो में क्या बयां करु खुद को
पढ़ लो अल्फ़ाज़ मेरे समझ जाओ मुझे
Joined 12 June 2018
4 JUN 2020 AT 22:30

खोल दो तीसरी आँख हे नटराज,
हो जाने दो ताण्डव फिर से..!
अब तो सच मे फट ही पड़े ये पृथ्वी,
और समा ले स्वयं में प्रकृति..!!
फिर से सृजन करें ब्रह्मा,
नई धरती नया आसमान हो..!
जहाँ इंसान का मतलब इंसान हो,
करो इच्छा पूर्ण अगर कहीं तुम भगवान हो..!!

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24 MAY 2020 AT 13:34

गांडीव रूपी अधर, शब्द रूपी बाण
हो जाएँ जब तीक्ष्ण, हर लेते हैं प्राण
जिव्हा रूपी तूणीर, रख शब्दों का संज्ञान
प्रत्यंचा हृदयाग्नि हुई जब मस्तिष्क को दे विराम
फिर धनुर्धर क्या करे, दम्भ-टंकार अभिमान

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15 MAY 2020 AT 8:59

भटकती है हवस दिन रात सोने की दुकानों में,
ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है।

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14 MAY 2020 AT 12:17

देश धर्म पर मिटने वाला शेर शिवा का छावा था,
महा पराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था।।

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4 MAY 2020 AT 18:48

था तुझे ग़ुरूर ख़ुद के लम्बे होने का ऐ सड़क,
ग़रीब के हौसलों ने तुझे पैदल ही नाप दिया..😥

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20 APR 2020 AT 10:21

सुवरों ये जो तुम्हारी वहशियत है,
वो एक दिन चिर जायेगी!
उद्धव अगर अब भी तुम चुप बैठे, तो सरकार गिर जायेगी!!
उद्धव से अब संभलती नही ये वीर शिवा की थाती है,
है हिन्दुवीर बालासाहब अब याद तुम्हारी आती है!
मातोश्री का गौरव रखा है सरकारी फेरो में,
बहुत फर्क होता है जंगल और सर्कस के शेरो में!!

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13 APR 2020 AT 10:47

अनुनय करने से अगर ,बने नहीं जब बात।
करना तब तुम शक्ति से, रिपुदल पर आघात।

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29 MAR 2020 AT 8:29

बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलाने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ||
- Unknown

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6 MAR 2020 AT 12:52

आशियाना बनाये भी तो बनाये कहाँ विशाल,
जमीनें देखो तो बहुत महँगी हो गयी ओर दिल लोगो के छोटे होते जा रहे है😏

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25 JAN 2020 AT 13:12

रूठी थी किस्मत मेरी भी ,
अब मेहरबान हो गयी...!
“महाँकाल” के नाम से ही ,
अब मेरी पहचान हो गयी ।।

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