वो ये नहीं कहता कि
मैं ईश्वर का भेजा दूत हूँ
जो इन गड़ेरियों का उद्धार करने
आया हूँ,
वो ये भी नहीं कहता कि
मै अल्लाह का भेजा पैगम्बर हूँ
जो इन निरीह लोगों को
ज्ञान देने आया हूँ,
वो रणभूमि कुरूक्षेत्र में
अट्ठारह अक्षौहिणी सेना के
बीच खड़ा होकर
सीना ठोककर बोलता है, कि
देख ले अर्जुन!
मैं स्वंय "ईश्वर" हूँ!
मैं स्वंय "श्रीकृष्ण" हूँ!
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लौटे थे हम उसी शहर आज फिर
जिस शहर हुआ था ये हसीन हादसा
वही नजर वही मुस्कान वही अदा
हमें कोई और मिला ही नहीं आपसा,
वही महक वही कसक वही जायका
भर दे जान तू कड़क किसी चाय सा-
तेरी लत लग जाती है
किसी सिगरेट की तरह
जिगर जलता है तुझसे
पर छोड़ नहीं पायेंगे
शराब सा मजा तेरा
भाँग सी आँखें हैं
कैसे सहेंगे इतना नशा
बता अभी कितना कहर ढाहेंगें
मरने की ख्वाहिश लेकर ही
हम तुझसे टकरायें हैं
घुल गया जिस्म में तू
इतना कम है जो और जहर चाहेंगे-
जब तुम साथ हो
सुहानी हर शाम लगती है
जो तुम साथ नहीं
नीरस ये घर लगता है|
जो तुम संग हो
सूना गाँव भी गाता है
जो तुम संग नही
अकेला ये शहर लगता है |-
गर आँखों की
छोड़ भी दूँ बात
तो तेरे होठो से
लगती है आश
अरे, पर पीने से नहीं
पिलाने से बुझती है प्यास
(...अनसुनी से)
Happy Kiss Day-
"मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा हूँ! "
"नहीं तुम अकेले नही हो,
असल में, ये तुम्हारा दुःख है
जो तुम्हारे साथ है!"
"फिर मैं क्या करूँ?
इस दर्द से छुटकारा कैसे पाऊँ"
"अपने दुःख से छुटकारा मत माँगो,
इसे गले से लगा लो,
ये स्वंय तुम्हारे आत्मा में घुल जाएगा|"-
तुम्हारा जाना
किसी सपने के
टूट जाने जैसा है
मैं बार-बार सोता हूँ,
कोशिश करता हूँ कि
वही सपना फिर देखूँ, पर
वो सपना फिर कभी
आया ही नहीं!-
दर्द का क्या है,
वो तो अब भी हैं सीने में
पर तेरी यादें नहीं हैं,
इश्क नहीं हैं अब
नजरें चुराकर
तुझे अब भी देख लेते है
तू खुश है बस बहुत है
हमारा क्या है अब?
कब रोयें है,
मुस्कुराए हैं हम कब
किसी को क्या फर्क है,
किसी को क्या गम है अब-
बस फिर क्या था
मै तनहा था
किसी और की खातिर
वो मुस्कुरायी
मैं समझा उसे
कुछ कहना था
दूर उसका जाना तय था
दर्द को मेरे पास
ही रहना था
मुझे रोना था
मुझे सहना था |
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