धुंध छाई है आँखो में,
मुझ पर अनसुलझे सवालो का साया है ।
ना दिखाई दे कोई नई राह,
हर मोड़ पर मायूसी का बादल उमड़ आया है ।
निकले थे घर से जिन खुशियो की तलाश में,
सिर्फ ठोकरे खाकर मैने खुद को चोट पहुंचाया है ।
ना अपनो का साथ,ना ही माँ-बाप का हाथ,
आज मैंने खुद को बहुत तन्हा ही पाया है ।
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मैं ये जानता हूँ तु नाखुश है,
चाहता हूँ तु खुश रहे ।
मैं ये जानता हूँ तु नासाज़ है,
चाहता हूँ तु तंदरुस्त रहे ।
तेरे दिल में है नाराज़गी,
बातो मैं है तेरे बेरुखी ।
इन सब की वजह बस मैं हूँ,
करी मैंने खता यही खामी मेरी ।
तेरे सिवा कहाँ जाऊँगा,
तु ही तो है मेरा जहाँ ।
चुभता मुझे अकेलापन,
ना रह पाता मैं तेरे बिना ।
मांगता हूँ मैं तुझसे माफी,
लिखता हूँ ये दर्द-ऐ-बयाँ ।
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Teachers are like soil, allowing small seeds to grow, making them big trees, yet they remain the same.
To all those from whom I learn in my life.-
पल पल की तलाश में, हम तुम जो यूं मिल गए,
पाकर तुम्हें खुशियों से हमारे दो दिल पिघल गए ।
जीवन की तंहाईयों से आजाद अब, हम तुम प्रेम के बंधन में बंध गए,
लेकर तुम्हें सुनेहरी वादियों में दूर कहीं हम तुम जा के बस गए।
मिला तुम्हे जो मिला मुझे वो हसीन तोहफा कुदरत का हर पल हमारे समीप रहे।
मैं और मेरी मोना-
मेरी बा
उम्र से 80 दिल की है सच्ची,
सुख-दुख की सहेली, है सबकी चहेती ।
पुरानी परंपरा संग नए विचार वाली,
रिश्ते नए हो या फिर पुराने सभी पर प्यार लुटाने वाली।
घर की हो नींव आप, सघन परिस्थिति में भी सदैव सजीव आप,
आप से ही जीवन मानो कोई संगीत की धुन ।
घर का हर त्यौहार उत्सव बन जाता है,
आपकी मुस्कराहट से महफिल का समा बन जाता है ।
बहुत ख़ुशनसीब है हम जो रहते हैं आपकी शीतल छाँव में ,
घिरें रहना चाहते है हमेशा आपके प्यार और आशीर्वाद से।
V2
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हे महावीरा हर लो हमारी पीड़ा,
भीषण रोग का कर दो निदान,
मृत्यु छायी पूरे जगत में,
प्रभु जी बचाओ हमारे प्राण,
फिर से आई विकट परिस्थिति,
धूमिल हो गई हमारी समृद्धि ,
बहुजन लेटे मृत्यु शय्या में,
सभी का बच पाना भी मुश्किल है ।
क्षमा भी ना मिल पाएगी,
हो गई हमसे ऐसी भूल,
हम अब तेरे चरणों मे,
बनके तेरी चरणों की धूल ।
जय श्री राम 🙏🏻🚩
जय हनुमान 🙏🏻🚩
श्री हनुमान जन्मोत्सव
की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻-
दोहरा रहा बीता इतिहास, झेल रहे हम दुसरा प्रहार,
फैली है विकरालता मृत्यु की, बचना भी दूभर है ।
इस फैले अराजकता के अनजाने में हम सब सहभागी है,
ना जाने अब किस किस की बारी है ।
विकल्प भी सिमित है, एक-दुसरे दूरी ही वाजिब है,
ना जाने और कितने दिनो तक हम सब इसमें सामिल है।-