ती अजूनही माझ्यावर प्रेम करते,
हे मला आजही तिच्या नकळत कळतं.
जेव्हा तिचं बोट कुतूहलाने,
माझ्या व्हॉट्सॲपच्या स्टेटसकडे वळतं.
ती आजही माझ्या स्टेटस मध्ये,
चेहरा माझा न्याहाळते.
ती आजही आमच्या विलगतेने,
हुंदका दडवून क्षणांचं मौन पाळते.-
06-04-99
लेखक, कवी, एकंदरीत साहित्यिक
(पु. ल. देशपांडे भक्त 🖋️👓)
प्रतीलीपी वर ... read more
गमों से वास्ता न रखने की तैयारी की गई,
यह बात और थी कि बात बात में बात की गई।
उनको भुलाने की कोशिश में शराब पी गई,
और तो और थोड़ी नहीं, बहुत पी गई।-
बिगाड़ने के बाद संवारने आए हैं,
जीते जी मरने के बाद,फिर मारने आए हैं।-
कितने शौक से गुज़ारी गई ज़िंदगी,
कितने नाज़ से नाम लिया गया?
तुमने क्यों की तकल्लुफ मारने की ?
मैं मुरदा ही था,बस फिर से मार लिया गया।-
आप आईए,आप बैठिए,आप फनाह कीजिए,
मैं आपही का हूं सारा का सारा,जैसे मर्ज़ी तबाह कीजिए।
मैं यह नहीं कहता आप साथ दीजिए मेरा उम्रभर,
बस जब तक निबाही हो तब तक निबाह कीजिए।
सुबह,रात,शाम,पहर,मौसम कईं आए आंगन में,
आप जब भी आए तभी सुहावनी सबा कीजिए।
मैंने पुरी कायनात के सामने थाम लिया है हाथ तेरा,
अब आप आकर मेरी कायनात ए ज़िंदगी रबा कीजिए।
मेरे जाने के बाद तुम्हें मेरे जाने का पछतावा न हो,
आप मिरी कब्र पर आके तहे दिल से तौबा कीजिए।
-
यह रात भी बीत गई इंतज़ार में उनके,
कहां था जिन्होंने कभी,चांद के साथ आएंगे वह भी।"-
"यह क्या ही सितम हैं के, तुम्हें भूलना पड़ेगा !
हमको क्या यह भी गम अब झेलना पड़ेगा ?"-
मेरी कबा के दामन पे गुल खिले हैं मुहब्बत के,
फकत देखना यह हैं के भूल कौन करता हैं?
मेरी जवानी जो बीत गई इंतज़ार ए आशिक़ी में,
अब देखना यह हैं मुझपर जवानी फ़िज़ूल कौन करता हैं?
अब के बार मिलना तो स्याह ए परदा हटाके मिलना,
देखू में भी कब्र पर ख़रिज ए अकीदत फुलों से कौन करता हैं?-