vishal swami  
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Joined 20 March 2020


Joined 20 March 2020
1 JAN AT 0:00

खट्टी मीठी यादों के संग बीत गया ये वर्ष पुराना
नव वर्ष के नए रंगों में देखेंगे एक नया ज़माना
नई उम्मीदें, नई उमंगे, देखेंगे कुछ ख़्वाब नए
जीवन के इस नए सफ़र में जोड़ेंगे अध्याय नए
मेहनत होगी, जज़्बा होगा, छू लेंगे हम नए आयाम
होंसलों की नई उड़ानों में पायेंगे हम नए मुकाम
विश्वास भरे संकल्पों संग ईश्वर से ये प्रार्थना है
हर जीवन में खुशियां हों तो जीवन की सार्थकता है
नव वर्ष की ये मधुरिम वेला सबके लिए आबाद रहे
सुख, सम्पत्ति, वैभव संग खुशियों की सौगात रहे।।

(नव वर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।)
(विशाल स्वामी)

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15 JUN 2023 AT 15:30

रोशन करते इन उजियालो ने कब हमसे मुंह मोड़ा है
पाप के बादल छा जाते तब छा जाता घना अंधेरा है
किन्तु स्वाभिमानी सूर्य विचलित कभी न होता है
अनगिन अंधियारों से लड़कर भी उदयमान वो होता है
सच्चाई तो प्रतिबिम्ब है बाकी तो सब मोह माया है
फिर भी सच का स्वाद झूठ से बहुत ही कड़वा होता है
जो रोते है तो रो जाने दो उनका कोई इलाज नहीं
गम के बादल छट जाने पर मौसम अच्छा होता है
झुकने की जिनको आदत है वो जड़ से मजबूत खड़े है
जो अभिमान मे सीना ताने उसका वजूद खत्म हुआ है
अक्सर लोग माहौल देखकर हर पल रंग बदलते है
जो एक जगह पर पड़ा हुआ हो पत्थर वो भारी होता है।
(विशाल स्वामी)

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13 JUN 2023 AT 17:42

बेमतलब का झगड़ा यूं काहे होता है
जरा जरा सी बात पे यूं रगड़ा होता है
देख तमाशा खिलता है लोगो का दिल
जैसा भी हो पंगा छोटा या बड़ा होता है
किरदार जो भी लडते हैं गली मुहल्ले मे
एक हाथ मे सिर एक हाथ मे जबड़ा होता है
जो झगड़े होते फिरते है घर के आंगन मे
पंगा उनका भी अक्सर तकड़ा होता है
आज के युग मे जाने कैसी सोच हुई है
रिश्ते नातों मे भी बहुत लफड़ा होता है
खाई बनी है दिल की दीवारों में इतनी
जिंदा होके भी इंसान खत्म पड़ा होता है।
(विशाल स्वामी)

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12 JUN 2023 AT 0:53

फलक पे चांद बाकी है जिस्म मे जान बाकी है
अभी ईमान बाकी है
अभी अफसोस के कुछ पल छुपा कर रख तन्हाई मे
रात का वक्त है अभी देखने कुछ ख़्वाब बाकी है।

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7 JUN 2023 AT 23:28


हर मुश्किल में जीना है
दिल से दूर नजारे है
जैसे अंबर पे तारे है
किंतु इन सब दुविधाओं का
अंत कहां पर निश्चित है
हारे मन को जो जिंदा कर दे
तो जीत एक दिन सुनिश्चित हैं।
(विशाल स्वामी)

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24 OCT 2022 AT 11:18

हर वर्ष की भाॅति अँधेरा यूँ बढा़ चला आता है
दुनिया पे है राज उसका ये सोचकर मुस्काता है
मै बडा़ हूँ विस्तार हूँ इस पार से उस पार हूँ
बढ़ रहा आकार मेरा बस मै ही मै निराकार हूँ
अंहकारी सोच रखकर वो कही भूल जाता है
जन्मा है जो विश्व में तो अन्त उसका आता है
रात है बेशक अँधेरी ना अँधेरे से घबराना है
तिमिर नाशक दीप हर आँगन में जलाना है।

आप सभी महानुभवों व परिवारजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
(विशाल स्वामी)

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24 OCT 2022 AT 11:16

हर वर्ष की भाॅति अँधेरा यूँ बढा़ चला आता है
दुनिया पे है राज उसका ये सोचकर मुस्काता है
मै बडा़ हूँ विस्तार हूँ इस पार से उस पार हूँ
बढ़ रहा आकार मेरा बस मै ही मै निराकार हूँ
अंहकारी सोच रखकर वो कही भूल जाता है
जन्मा है जो विश्व में तो अन्त उसका आता है
रात है बेशक अँधेरी ना अँधेरे से घबराना है
तिमिर नाशक दीप हर आँगन में जलाना है।

आप सभी महानुभवों व परिवारजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
(विशाल स्वामी)

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3 APR 2022 AT 18:03

हर किसी को जानना
आँखें, चेहरा, हरकतें
अन्दाज़ बयाँ सब करती है।

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3 APR 2022 AT 18:00

जो हिला सके ना तेरे इरादों को
जख्म भले हो कितने गहरे ही
एक ना एक दिन भर जाते है।

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1 MAR 2022 AT 23:24

है खामोशियाँ तन्हाईयाँ
फिक्रें सभी बिखरी हुई
जिक्रों में है रुसवाईयाँ
बुझदिली ज़िन्दादिलों में
रिश्तों में है तुरपाईयाँ
नफरतों की आँधियों में
डूबी प्रेम की गहराईयाँ।

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