एक शांत मध्यम गहरा प्रवाह हूँ मैं...
एक दिन चमक, सागर में विलीन हो जाऊंगा.. ❤-
कितने आजाद हो तुम!!
खुद को ही समेटे हुए हो..
कुछ अनकहे जज्बातों में..
कुछ ख्यालातों में, कुछ बातों में..
अपने धैर्य से अधिक तुमने ढोया है..
अपनी सीमा से परे तुमने झेला है...
नहीं किया तुमने क्या खुद को खुद के ही खातिर..
खुद के ही अगले पल के लिए तैयार..
कितने आजाद हो तुम!!
तुमने भी कुछ ख्वाब संजोए होगें...
क्या वो सब समय की मार में पीछे नहीं रह गए..
तुम आज भी उस 9-5 की दौड़ में हो..
बर्तनों की उठापटक के शोर में हो...
किसी ना किसी चाह में फिर लगे हुए हो...
शाश्वत सत्य से कोई परे नहीं हो..
फिर भी विवादों में उलझे हुए हो..
खुद को सार्वभौमिक सत्य मान..
चीजों को सुलझाने में लगे हुए हो..
कितने ही आजाद हो तुम!!
कभी बैठना खामोशी से एकांत में,
उस जीवन की राह में जिसमें तुम
दौड़े जा रहे हो दौड़े जा रहे हो..
और विचार करना अपने अन्तर्मन में..
किन विचारों से तुम आजाद हो सकते हो...
किन हालातों से दरकिनार हो सकते हो..
तब तुम्हें वास्तव में आजादी का स्वाद मिलेगा..
और फिर हर रोज ये ध्यान देना कि...
वास्तव में..
कितने आजाद हो तुम!!!
कितने आजाद हो तुम!!!-
अगर मैं तुम सा हो जाऊं..
तो शायद फिर कोई भेद ना रहे..
ना तुम्हें पाने की चाहत रहे..
और ना तुम्हें खोने का डर रहे..
अगर मैं तुम सा हो जाऊं..
शायद ना मुझमें कोई खोट रहे...
ना मुझमें कुछ नकारात्मकता..
ना विचारों का मतभेद रहे..
अगर मैं तुम सा हो जाऊं..
तो फिर कोई उम्मीद भी ना रहे..
ना हो कोई फरमाइश ना कोई चाहत..
ना किसी तरह की शिकायतें रहे...
ना मैं तुम्हें मिलूं...ना तुम मुझे मिलो..
फिर भी ज़माने में संदेह रहे...
एक प्रश्नचिन्ह भले बना रहे मन में...
लेकिन पूर्ण विराम सा एक खेल लगे...
काश मैं तुम सा हो जाऊं...
तो मुझमें तुझमें शायद ...
ना कोई भेद रहे...
काश मैं तुम सा...❤️-
एक पल को जरा शान्त हो जाओ...
खामोश रहो एक पहर के लिए..
जीवन में ये भाग दौड़ क्यों है!!
जियो खुद के लिए खुद के ही खातिर खुद के ही भीतर..
तराश दो खुद को एक हीरे की भांति..
सीमित संसाधन होंगे, असीमित चुनौतियां होंगी..
समस्याओं का अनसुलझा जाल होगा..
क्यों ठहर गए क्या, भयभीत हो क्या..
उठ खड़े हो फिर एक घायल की भांति
मंजिलें आगोश में लेने को आतुर..
बस एक प्रयास की और चोट दो ना..
जितना कठिन सफर होगा..
उतनी सुहानी मंजिल होगी..
जितना ऊंचा प्रयास होगा..
उतनी नजदीक मंजिलें होंगी..
बस एक और प्रयास ,एक और अवसर दो ना..
घायल ही तो हो, फिर उठ खड़े हो ना..
अवसर असीमित इस जीवन में..
बस श्वास को फिर चलने का अधिकार दो ना..
तराश दो खुद को फिर एक हीरे की भांति..
बस एक और प्रयास...
एक और चोट करो ना....
बस एक ओर......❤️-
जीवन के आत्मबोध से परे..
जहां शरीर विश्राम को हो आतुर..
अन्त: मन अन्तर्द्वन्द में हो उलझा..
जो सुना है उसे सच मान बैठा..
जो अनसुना है उसे अकल्पनीय..
क्या ऐसी भ्रान्ति से जन्मा है लक्ष्य..
निश्चित ही कहीं संदेह होगा..
निश्चित ही कहीं अवरोध होगा...
समय काल की वो परिस्थितियां..
जिनसे अन्तर्मन में रोष होगा..
क्या ऐसी विवेचना का सार है लक्ष्य..
नील गगन, पैरों में समंदर की लहरें..
दूर खड़े डूबते सूरज का चिंतन..
उस छुअन से उत्पन्न वो विचार..
क्या उस विचार जैसा क्षण भंगुर लक्ष्य..
लक्ष्य एक अडिग धुरी पर समय चक्र का साम्राज्य..
विश्राम अन्त: कलह रोष प्रतिशोध..
चतुष्पदीय वीरों से वो बेखौफ..
आलिंगन चिंतन मनन से परे..
एक ध्वजा एक पताका..
एक साम्राज्य में विचरण करता..
अथक परिश्रमी अथक बलशाली..
उस शूरवीर के रक्त सा वो तेज लक्ष्य..
जिंदगी के श्वास जितना ..
जिंदगी का पूरक लक्ष्य....❤️-
वास्तविकता क्या है..
वास्तविकता वो नहीं जो दिख रहा है..
वास्तविकता वो है जो नहीं दिख रहा..
वास्तविकता वो नहीं जो शब्दों में है..
वास्तविकता वो है जो भीतर है..
वास्तविकता वो नहीं जो सुना है अब तक...
जो है अनसुना अब तलक जिंदगी में वो है वास्तविकता..
आखिर क्या है वास्तविकता!!
बाहरी जिंदगी का आडम्बर नहीं..
हर जिंदगी का वो जो एक अंधेरा है...
जो छुपा है हर किसी से हर किसी का..
जो खामोश है कहीं भीतर मन में..
जिसे कहने के खातिर हर कोई ...
ढूंढ रहा किसी ना किसी एक को..
पर जो ना मिला किसी को ना मिलेगा किसी को..
उस अंधेरे को जीवन में भीतर समेटे...
जीवन का एक अजीब सा गूढ़ रहस्य..
जीवन का सार सन्दर्भ अन्त: प्रसंग ही..
जीवन की वास्तविक वास्तविकता..
क्षण भंगुर से परे,काया कल्पना से कहीं दूर..
ईश्वरीय सोच से दूर खड़े..
उस सूर्य की अंतिम लौ के स्मरण से..
मन का वो जो आखिरी विचार
वो है जीवन की असल वास्तविकता..
ऐसी है सूक्ष्म दैवीय शान्त निर्मल..
जीवन की असल वास्तविकता...-
ख़ामोश-ए-जिंदगी में उलझनें कितनी हैं..
गुमनाम पड़े हैं शब्द और तकदीर ठहरी बैठी है..❤️-
यहाँ मैं हर पल तुम्हें सोच रहा हूँ...
और शायद...
वहाँ तुम हर पल मुझे कोस रही हो.. ❤-