Vishal Singh  
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A Guy Next Door, playing with Sarcasm.
Joined 6 December 2017


A Guy Next Door, playing with Sarcasm.
Joined 6 December 2017
23 AUG 2021 AT 22:43

कभी उनसे बिना मिले ही
बिछडे हो?

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26 APR 2021 AT 0:18

कोई ख़ुशियों की चाह में रोया।
कोई दुखों की पनाह में रोया।
अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का...
कोई भरोसे के लिए रोया।
कोई भरोसा कर के रोया।।

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10 APR 2021 AT 22:42

मैं मन का बुरा नहीं था ।

बस मेरी किसमत खराब थी ।।

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21 MAY 2020 AT 4:44

उसे लगा कि वो मेरे करीब आ रही थी ।

अफसोस की में खुद से ही दूर जा चुका था ।।

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28 DEC 2019 AT 4:25

कुछ यूँ छिपा लेता हूँ जज़्बातो को ।

लिख कर मिटा देता हूँ कुछ बातों को ।।

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25 DEC 2019 AT 19:43

हमेशा कुछ करने की जरूरत ही नहीं थी ।
बस तेरा साथ ही काफी होता ।।

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23 DEC 2019 AT 21:49

आँखो में अटका पड़ा ये जो आंसू है ना,
काफी दर्द देता है ।

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5 NOV 2019 AT 23:23

नसीब वाले हो तुम जो तुम्हारा इश्क मुकम्मल हुआ ।
हमारा तोह सिर्फ बेगैरत हुआ ।।

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31 OCT 2019 AT 17:09

मैं बिन मंजिल का राही था ।
एक रहा पर तुम मिले ।
मुझे मंजिल मिल गई ।।

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9 OCT 2019 AT 22:53

It's soo dark outside everywhere.

So let it be like that.
I'll observe and adapt everything which will come in my path of self made Success.

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