तुम्हारी तरह झूठ बोलकर हमें सताना नहीं आता... इतना ना रूठा करो हमसे हर बार हमें मनाना नहीं आता... किसी दिन हम रूठकर चलें गये तों समझ लेना तुम्हारी जिंदगी में हम नहीं... क्योंकि हमे दोबारा लौटकर आना नहीं आता...
तेरी ही तरह सताते है तेरे शहर के लोग... मुसाफिरो को गलत रास्ता बताते हैं तेरे शहर के लोग... मुझे तो बदनाम कर दिया तूने अपने शहर में... पूछने पर पता चला तुझे भी बेवफा बताते हैं तेरे शहर के लोग
दिल ❤️ में मेरे ऐसी आग लगा देना तुम... बिछड़ते वक़्त भी मुस्कुरा देना तुम... तुम्हारी खुशियों की खातिर छोड़ा है तुम्हें... लोग बेवफा कहें हमें... उससे पहले सच्चाई बता देना तुम
तेरे बगैर हम एक जिन्दा लाश हैं... मिलने आ तू हमसे हमें आज भी तेरी ही तलाश है... तेरी यादों की जजीरो में कैद मेरी रूह को रिहा कर दे तू... लगाकर सीने से मुझे फिर से जिंदा कर दे तू
ठंड से ठिठूरते रहें मां बाप रात में बच्चें उलझे रहे बटवारे की बात में...... चल बसे मां बाप सब कुछ बच्चों के लिए छोड़कर कुछ लेकर न गये साथ में..... कुछ नहीं दिया इन्होंने हमें कह रहे थे बच्चे मां बाप की तस्वीर लेकर हाथ में