तुम्हारी अहमियत अगर कुछ लफ्जों में बयां हो तो मैं बस इतना कहना चाहता हूं की तुम मेरी उदास भरी जिंदगी में सुकून भरा एहसास हो और मेरे चेहरे की खुशी की वजह हो...!!
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कुछ इस तरह से....
तुम मेरे साथ में रहना...
मैं तुम्हे लिख कर खुश रहूं!!
और तुम पढ़कर मुस्कुराते रहना!!!😊-
तुम तो यूं ही आंसुओ से परेशान हो,
यकीन मानो मुस्कुराना और भी मुश्किल है!!
🙂🙂-
तीन पहर तो बीत गए, बस एक पहर ही बाकी है!
जीवन हाथों से फिसल गया,
बस खाली मुट्ठी बाकी है!!
सबकुछ पाया इस जीवन में, फिर भी इच्छाएं बाकी है,
दुनिया से हमने क्या पाया, यह लेखा जोखा बहुत हुआ, इस जग ने हमसे क्या पाया, बस ये गणनाएं बाकी है!!
इस भाग दौर की दुनिया में, हमको इक पल का होश नही, वैसे तो जीवन सुखमय है, पर फिर भी क्यों संतोष नहीं!
क्या यूं ही जीवन बीतेगा, क्या यूं ही सांसे बंद होंगी?
औरों की पीड़ा देख समझ कब अपनी आंखे नम होंगी?
मन के अंदर में छिपे इस प्रश्न का उत्तर बाकी है!!
कुछ दूर पराई बस्ती में इक दीप जलाना बाकी है,
तीन पहर तो बीत गए बस एक पहर ही बाकी है,
जीवन हाथों से फिसल गया,
बस खाली मुट्ठी ही बाकी है!!✍🏻✍🏻-
कल हम भी बारिश में छपाके लगाया करते थे,
आज इसी बारिश में कीटाणु देखना सीख गए;
कल बेफिक्र थे की मां क्या कहेंगी,
आज बारिश से मोबाइल बचाना सीख गए;
कल दुआ करते थे कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते है की रुके ये बारिश कहीं ड्यूटी ना छूट जाए;
किसने कहा नही आती वो बचपन वाली बारिश,
हम खुद अब कागज की नांव बनाना भूल गए;
बारिश तो अब भी वही बारिश है:
हम अपना जमाना भूल गए!!-
गंगा में तैरती लाश ने कौवे से कहा....
कागा सब तन खाईयो
चुन चुन खाईयो मांस
ये दो नैना मत खाईयो
मोहे अच्छे दिन की आस.!!-
घाव बहुत गहरा था पर दिखता ना था;
दिल भी बहुत दुखता था पर कोई समझता ना था!
बाद में सब कहते है कि हमसे कह सकते थे;
पर जब - जब कहना चाहा कोई सुनता भी न था!!-
बहुत आसान है कहना कि
"घर में रहो सुरक्षित रहो"
पूछो उनसे जिनके बच्चे खाना तब खाते है
जब उनके पापा कमा के कुछ घर लाते है!!☹️-
मिट्टी की काया अपनी,
मिट्टी में मिल जानी है!
फिर क्यों बैर करना किसी से, जब कुछ पल की ही जिंदगानी है!-