मैं यह नहीं जानता,
कि मैं अनंत आकाश की ऊँचाई को छू सकुंगा
या नहीं,
लेकिन,मैं यह जानता हूँ,
कि मैं धरा के गर्भ में भी नहीं रहुंगा...
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सिविल सेवा अभ्यर्थी...
बड़े ख्वाब...
साहब घर का बड़ा बेटा हूँ मैं,
माँ की ममता हूँ,पिता का दुलार हूँ,
हर चुनौती पर पहला वार हूँ,
हर समस्या को पहले अपने ऊपर लेता हूँ मैं,
साहब घर का बड़ा बेटा हूँ मैं,
सब की आस का केन्द्र बिंदु हूँ,
कभी-कभी लगता है सिंधु हूँ,
सब तकलीफ़ो के जल को धार लेता हूँ मैं,
साहब घर का बड़ा बेटा हूँ मैं,
स्थिर सब की नज़रे मुझ पर,
हर कोई आता मुझ तक चल कर,
हँसकर बाते सब की,टाल देता हूँ मैं,
साहब घर का बड़ा बेटा हूँ मैं,
सिर पर जिम्मेदारियो का आसमान है,
बड़ा बेटा होने का भी अपना नुकसान है,
समय बदलने का दम रखता हूँ मैं,
साहब घर का बड़ा बेटा हूँ मैं...
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अपने भी सिर पर बोझ का आसमान है,
बड़ा बेटा होने का भी अपना नुकसान है...
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सुकून क्या है कभी बताएंगे तुम्हे,
आओ,हमारे हाथ की चाय पिलाएंगे तुम्हे...-
जीना चाहती थी पर ज़िन्दगी से वो हार गई,
अंधे बहरो कानूनो पर लानत फ़िर से मार ग़ई,
धूल जमी है बहुत,कानून की किताब पर,
कोई क्या जाने क्या गुजरी है उसके माँ-बाप पर,
गली,मोहल्ले,चौराहो पर मोमबत्ती जलाओगे,
एक-दो दिन के भीतर इसको भी तुम भुल जाओगे,
फ़िर किसी निर्भया या मनीषा की बारी आएगी,
फ़िर तुम्हारी मोमबत्ती चौराहो पर निकल आएगी,
विनती है कि बस इतना साहस दिखा दो तुम,
अपने अपने बेटो को नारी सम्मान सीखा दो तुम...-
कहो तो चाय बना दूँ तुम्हारे लिए,
बाते तो हर कोई बना लेता है...-
थकान बहुत है पैरो में उसके आज,
चला है शिद्दत से शायद मंजिल की ओर...
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शाख पर बैठा परिन्दा उड़ाया नहीं मैंने,
कभी किसी को गिराया नहीं मैने,
मिला दिल तो लूट गया उस शख्स पर,
हाथ तो यू ही किसी से मिलाया नहीं मैने,
झुकता हूँ तो झुका भी सकता हूँ,सब को,
हर जगह ये पत्ता चलाया नहीं मैने,
यू तो कई उड़ी अफ़वाहे मेरे खिलाफ़,
पर अफ़वाहो को कभी दबाया नहीं मैने,
जो आया बिठा लिया अपने साथ,
जाने वाले को तो कभी बुलाया नहीं मैने,
जानता नहीं हर कोई मिजाज को मेरे,
खुद को भी खुद से कभी मिलाया नहीं मैने...
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